जोशीमठ में देर रात होटल तोड़ने को लेकर भारी विरोध, 13 जनवरी को सीएम धामी ने बुलाई इमरजेंसी बैठक
जोशीमठ (Joshimath) की जमीन धंस रही है. अभी तक शहर में 723 घर ऐसे चिह्नित किए गए हैं जिनमें दरारें आ गई हैं. करीब 80 घर ऐसे हैं जिन्हें गिराया जाना है.
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Joshimath House Bulldoze: जोशीमठ शहर में हो रहे भूधंसाव के चलते अभी तक 131 परिवारों को उनके घरों से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है. शहर के धंसने के चलते कई घरों को गंभीर नुकसान पहुंचा है जिन्हें गिराया जाना है. इसे लेकर स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है. मामले को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इमरजेंसी बैठक बुलाई है.
उत्तराखंड में धार्मिक यात्रा का प्रवेश द्वारा माना जाने वाला जोशीमठ शहर पिछले कई दिनों से चर्चा में है. यहां की जमीन धंस रही है, जिसके चलते घरों और जमीन में दरार आने लगी है. अभी तक शहर में 723 घर ऐसे चिह्नित किए गए हैं जिनमें दरारें आ गई हैं. इनमें से कुछ गंभीर स्थिति में हैं जो कभी भी गिर सकते हैं. ये घर और नुकसान न कर दें, इसलिए इन्हें गिराया जाना है.
सीएम धामी करेंगे बैठक
मंगलवार (10 जनवरी) को प्रशासन की टीमें इन घरों को बुल्डोज करने वाली थी लेकिन स्थानीय लोगों के गुस्से के चलते उन्हें इसे टालना पड़ा. अब मामले पर सीएम धामी 13 जनवरी को बैठक करेंगे जिसमें इस पर चर्चा होगी.
सीएम धामी इस बैठक में प्रभावितों को मुआवजा देने पर मंथन होगा. इसके साथ ही जोशीमठ में दूसरे इंतजामों पर भी चर्चा होगी.
देर रात होटल तोड़े जाने का विरोध
मंगलवार देर रात प्रशासन की टीम होटल को गिराने पहुंची तो गुस्साए लोग भड़क उठे. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले तो प्रशासन ने साफ बताया नहीं कि उन्हें क्या मुआवजा मिलेगा. उस पर रात में टीम गिराने पहुंच गई. एबीपी न्यूज से बातचीत में एक स्थानीय निवासी ने कहा कार्रवाई से पहले सरकार मुआवजे को लेकर लिखित आश्वासन दे तो ही कार्रवाई होने दी जाएगी. इसके साथ ही उनकी मांग है कि कार्रवाई रात की बजाय दिन में की जाए.
अधिकारियों ने क्या कहा?
रात में कार्रवाई को लेकर बीआरओ के एक कमांडेंट एबीपी न्यूज से बताया कि रात में यह कार्रवाई इसलिए की जा रही है क्योंकि रात में यहां ट्रैफिक कम रहता है. भीड़-भाड़ कम होने के चलते ज्यादा खतरा नहीं होगा इसलिए ये कार्रवाई रात के समय की जा रही है.
क्यों गुस्सा हैं लोग?
जोशीमठ पवित्र धार्मिक शहर होने के चलते यहां पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं. यहां पर बने अधिकांश होटल और दुकानें इन तीर्थयात्रियों के चलते ही गुलजार रहती हैं. लोगो ने इस उम्मीद में कि तीर्थयात्री यहां आते ही रहेंगे, इन होटलों और दुकानों में अपनी सारी पूंजी लगा दी है.
दूसरी तरफ वे घर भी है जो लोगों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगाकर बनाए हैं. अब इन्हें गिरा दिया जाना है जिससे लोगों को समझ ही नहीं आ रहा कि वे इसके बाद क्या करेंगे. सरकार और प्रशासन की तरफ से भी इन लोगों को मुआवजे या फिर सहायता को लेकर कोई बात नहीं कही गई है. इन लोगों का कहना है कि घर गिराए जाने को लेकर उन्हें नोटिस भी नहीं दिया गया है.
धरने पर बैठे परिवार
जिन होटलों को गिराया जाना है उनके परिवार उन्हीं होटलों के सामने धरने पर बैठ गए हैं. लोगों का कहना है कि अगर घर में दरारें हैं और उसे लोगों के हित में गिराया जाना है तो ठीक है. लेकिन हम कहां जाएंगे. प्रशासन को ऐसी मदद करनी चाहिए जिससे कोई स्थायी व्यवस्था हो.
केंद्रीय मंत्री भी पहुंचे
अजय भट्ट केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड से सांसद हैं. केंद्र ने स्थिति को संभालने के लिए उन्हें जिम्मेदारी के साथ भेजा है. उन्होंने सोमवार को स्थानीय लोगों से बात की. अजय भट्ट ने कहा कि लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई से घर बनाया है जिसे छोड़ने में तकलीफ तो होगी. उन्होंने आगे कहा "हमारी प्राथमिकता सभी को सुरक्षित रखना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अधिकारियों को तैनात किया गया है, सेना को अलर्ट किया गया है। पशुओं के लिए भी आश्रय बनाए जाएंगे।"
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