Joshimath Land Subsidence Report: जोशीमठ में जमीन धंसने और घरों में दरारें पड़ने की घटनाओं की जांच को लेकर उत्तराखंड सरकार ने 8 सदस्यीय कमेटी बनाई थी. रविवार (8 जनवरी) को इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभावित लोगों को तुरंत विस्थापित किया जाए और छतिग्रस्त इमारतों को गिराकर उनका मलबा मौके से हटवाया जाए.


जोशीमठ संकट पर 8 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट की अहम बातें- 


जेपी कॉलोनी से मारवाड़ी ब्रिज तक सैंपल इकट्ठे किये गए क्योंकि यहीं तक पानी का फ्लो था. इसकी वजह से जमीन के अंदर खाली जगह बनी, जिसकी वजह से धंसाव हो रहा है. इससे कुछ जगह क्रैक हुआ है और कुछ क्रैक एक मीटर तक गहरे हैं.


जमीन कुछ जगह समतल नहीं रह गई है, जिसकी वजह से दीवारों और भवनों की नींव कमजोर हो गई है. इसकी वजह से भवनों और मैदानों में दरारें देखी जा रही हैं.


अगस्त 2022 की तुलना में सर्वे में पाया गया कि नए और ज़्यादा नुकसान सुनील, मनोहरबाग, सिंहधार और मारवाड़ी में देखे गए हैं.


सर्वे टीम ने रविग्राम, गांधीनगर, एनटीपीसी और एटी नाला और कैसे कुछ जगहों पर दौरा किया. ये पाया गया कि अगस्त 2022 से ज़्यादा दरारें नहीं आयी हैं.


विष्णुगाड एनटीपीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट पर भी दौरा कर सर्वे किया गया है. ये समझने के लिए कि क्या टनल की भी कोई भूमिका इस दरारों के पीछे है. एनटीपीसी की टीम से भी इस बाबत बात की.


अलकनन्दा नदी के कटाव का भी निरीक्षण किया गया. ये तय किया गया है कि विष्णुप्रयाग और मारवाड़ी के बीच एक अर्ध चंद्रकार दीवार बनाई जाएगी जो दाईं तरफ सुनील से शुरू होकर रविग्राम से होते हुए एटी नाला से बायीं तरफ सिंघधार, मारवाड़ी तक जाएगी. 


सर्वे में पाया गया कि अगस्त 2022 की रिपोर्ट को लागू किया जाना चाहिए. जिन घरों में बहुत ज़्यादा नुकसान है, उनको ध्वस्त कर उसके मलबे को हटाया जाना चाहिए. वे इलाके जिनमें रिहाइश मुमकिन नहीं, उन्हें चिन्हित करना चाहिए. जो लोग खतरे की जद पर बैठे हैं, उन्हें तत्काल वहां से विस्थापित करना चाहिए.


इलाके में मिट्टी की जांच कराई जानी चाहिए. साथ ही जियो फिजिकल जांच भी होनी चाहिए. भूकम्प की भविष्यवाणी के लिए भी तैयारी करनी चाहिए. पानी के बहाव को ऊपर से लेकर नीचे के बहाव तक जांचा जाना चाहिए. मूवमेंट की रियल टाइम जांच होनी चाहिए. 


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