Joshimath Landslide: बद्रीनाथ धाम के प्रवेश द्वार जोशीमठ में इन दिनों हाहाकार मचा है. यहां जमीन धंस रही है. मकानों, दुकानों और होटलों की दीवारों में दरारें आ गई हैं. अब इसे लेकर आज (9 जनवरी) पिटकुल (PTCUL) की टीम जोशीमठ के लिए रवाना हो गई है. यह टीम एमडी पीसी ध्यानी के नेतृत्व में रवाना हुई है. इस दौरान टीम बिजली की लाइनों पर पड़ने वाले असर पर रिसर्च करेगी. यहां स्थिति लगातार खतरनाक रूप ले रही है. 


आपदा से अगर ट्रांसमिशन की लाइनों पर प्रभाव पड़ रहा होगा तो समय से उसका रखरखाव किया जाएगा. इस मामले में लगातार केंद्र सरकार ने नजर बनाकर रखी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हर मदद का आश्वासन दिया है. इतना ही नहीं भू-वैज्ञानिक और विशेषज्ञ हिमालय के अन्य क्षेत्रों के बारे में भी चेतावनी जारी कर रहे हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो उत्तरकाशी (Uttarkashi) और नैनीताल (Nainital) भी भू-धंसाव की जद में हैं. 


ठिठुरन के बीच घरों से बाहर रहने को मजबूर लोग


शहर के कई घरों और 600 से ज्यादा इमारतों में दरारें आने के बाद कड़ाके की ठंड से जूझ रहे कस्बे के स्थानीय लोगों को कड़ाके की ठंड के बीच घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं. यहां अब तक 70 प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों में ट्रांसफर कर दिया गया है. बीते दिन यानी रविवार को जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को जरूरी घरेलू सामान के लिए सहायता राशि बांटी. बढ़ते खतरे को देखते हुए कम से कम 90 और परिवारों को अपने घर जल्द से जल्द खाली करने होंगे. 


तय मानक से ज्यादा वाले निर्माण पर रोक 


शहर में भू धंसाव संकट के बीच अब जोशीमठ में तय मानक से ज्यादा वाले निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी. इसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिला प्राधिकरण के अध्यक्षों को निर्देश दे दिए हैं कि पहाड़ी राज्य में अब तय मानक से ज्यादा जो भी निर्माण कार्य हो रहा उसे पूरी तरह से रोक दिया जाएगा. 


तीन जोन में बांटा गया जोशीमठ 


जोशीमठ शहर में लगातार स्थिति खराब होते देख इसे प्रशासन ने तीन अलग-अलग जोन में बांटने का फैसला किया है. ये जोन होंगे असुरक्षित, सुरक्षित और बफर जोन. जोन के आधार पर चिन्हीकरण के आदेश दिए गए हैं. लोगों के मन में डर है कि उन्हें अपने दशकों पुराने घरों को छोड़ यहां से जाना पड़ेगा. खतरे को देखते हुए सरकार भी लगातार कड़े कदम उठा रही है. 


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