Geologist Survey On Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में सैकड़ों इमारतें इस समय खतरे की जद में हैं. 700 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं. वहीं, 100 से अधिक परिवारों को विस्थापित किया जा चुका है. इसी बीच जब जोशीमठ में प्रशासन खतरनाक इमारतों को गिराने की तैयारी कर रहा है तो आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ने एक बड़ा दावा किया है. उन्होंने जो कहा है वो बेहद डराने वाला और परेशान करने वाला है.
दरअसल, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर राजीव सिन्हा भू-वैज्ञानिक हैं और सरकार ने उन्हें जोशीमठ में सर्वे के लिए भेजा था. वो सर्वे करके लौट आए हैं और उन्होंने दावा किया है कि जोशीमठ को दोबारा बसाने की कोशिश बेहद खतरनाक होगी. राजीव सिन्हा के मुताबिक, जोशीमठ को दोबारा बसाने की कोशिश खतरनाक है क्योंकि ये स्लाइडिंग जोन में है.
'जोशीमठ में कमजोर हुए पत्थर'
राजीव सिन्हा ने इसके पीछे का कारण भी बताया. उन्होंने कहा कि जोशीमठ दशकों से स्लाइडिंग जोन में है और इस वजह से यहां के पत्थर कमजोर हो गए हैं. बता दें कि राजीव सिन्हा जोशीमठ के हालात पर सर्वे के लिए गए थे और अब वो अपनी रिपोर्ट कुछ ही दिनों में सरकार को सौंपने वाले हैं. पूरी रिपोर्ट में क्या कहा गया है, उसका अभी इंतजार है.
जोशीमठ के ताजा हालात-
जोशीमठ में हालात पल-पल बिगड़ रहे हैं. घरों में दरार आने का सिलसिला अभी जारी है. वहीं जमीन धंसने की खबरें भी लगातार आ रही है. इसी बीच, राज्य सरकार ने 'माउंट व्यू' और 'मालारी इन' होटलों को गिराने का फैसला किया, जिनमें हाल में बड़ी दरारें आ गईं और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं. इससे आसपास की इमारतों को खतरा पैदा हो गया है.
बारिश से बिगड़ सकते हैं हालात
जानकारी के मुताबिक, प्रशासन बुधवार को असुरक्षित इमारतों को गिराएगा. हालांकि, इसी बीच एक और खबर आई है, जिसने जोशीमठ के लोगों को और चिंता में डाल दिया है. मौसम विभाग के मुताबिक, जोशीमठ में अगले तीन दिन बारिश के आसार हैं. अगर बारिश होती है जो इससे प्रशासन और स्थानीय लोगों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी.
मुख्यमंत्री ने बुलाई इमरजेंसी बैठक
जोशीमठ की स्थिति के मद्देनजर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 13 जनवरी को इमरजेंसी बैठक बुलाई है. सीएम धामी की इस बैठक में प्रभावितों को मुआवजा देने पर मंथन होगा. इसके साथ ही जोशीमठ में दूसरे इंतजामों पर भी चर्चा होगी.