'विकास के नाम पर पर्वतों को तोड़ा गया, जंगलों को काटा गया', जोशीमठ की आपदा पर बोले स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
राज्य सरकार ने जोशीमठ में सभी तरह के निर्माण कार्यों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इसी के साथ राज्य सरकार ने असुरक्षित घरों और होटलों को गिराने का प्लान तैयार किया है.
Nischalananda Saraswati On Joshimath Sinking: जोशीमठ में स्थिति नाजुक बनी हुई है. घरों और इमारतों में दरारें आने का सिलसिला लगातार जारी है. जमीन धंसती जा रही है और स्थानीय लोग डर के साये में रहने को मजबूर हैं. असुरक्षित स्थानों से लोगों को रेस्क्यू करने का काम अब भी जारी है. जोशीमठ में आई विपदा के लिए श्री जगद्गुरु शंकराचार्य पुरी पीठाधीश्वार स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पहाड़ों पर होने वाले विकास कार्यों को जिम्मेदार ठहराया है.
जोशीमठ की मौजूदा स्थिति को लेकर निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पर्वत, वन और नदी पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखती है, लेकिन विकास के नाम पर पर्वतों को रास्ता बनाने के लिए तोड़ा गया. वनों को काटा गया और नदियों का जल दूषित किया गया, जिसका परिणाम सबके सामने है.
केंद्र और राज्य अलर्ट
जोशीमठ में आई आपदा को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की धामी सरकार अलर्ट हैं. केंद्र ने पैनल का गठन किया है, जो पूरी स्थिति को मॉनिटर कर रहा है. वहीं, राज्य सरकार ने जोशीमठ में सभी तरह के निर्माण कार्यों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इसी के साथ राज्य सरकार ने असुरक्षित घरों और होटलों को गिराने का प्लान तैयार किया है.
खतरनाक इमारतों पर X निशान
मंगलवार (10 जनवरी) को ही प्रशासन ने उन घरों और होटलों को चिह्नित कर लिया था, जो बेहद असुरक्षित और खतरनाक हैं. ऐसी सभी इमारतों पर रेड क्रॉस (X) निशान बनाए गए हैं. माना जा रहा है कि इन सभी मकानों को गिराया जा सकता है. निशान लगने से स्थानीय लोगों को इस बात का भी पता लग गया है कि किन-किन इमारतों से उन्हें दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
गंगासागर मेले पर भी बोले निश्चलानंद
उल्लेखनीय है कि जोशीमठ की विपदा पर टिप्पणी करने वाले निश्चलानंद सरस्वती महाराज बंगाल (Bengal) में एक कार्यक्रम के लिए पहुंचे थे. यहां उन्होंने बंगाल के गंगासागर मेले (Gangasagar Mela) में होने वाली भीड़ पर प्रतिक्रिया दी. दरअसल, गंगासागर मेले के आयोजन पर भीड़ मकर सक्रांति के पहले से ही शुरू हो जाती है. सागर में डुबकी लगाते लोगों को देखा जाता है. इस पर निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि 100 वर्षों में एक बार तिथि का बदलाव होता है, 14 या 15, यह तिथि के हिसाब से होना चाहिए, न कि भीड़ के हिसाब से.
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