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Joshimath Sinking: खतरनाक इमारतों पर बनाए गए लाल 'X' निशान, हर पल बिगड़ रहे हालात, अब तक 82 परिवारों को किया गया रेस्क्यू
जोशीमठ में किसी भी राहत और बचाव अभियान में स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की एक टीम को तैयार रखा गया है.
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Joshimath Buildings Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात हर पल बिगड़ रहे हैं. प्रशासन स्थिति को नियंत्रण करने की भरपूर कोशिश कर रहा है. जमीन धंसने और दरारें पड़ने के कारण इमारतों को खाली करने की प्रक्रिया चल रही है. अब खबर आई है कि असुरक्षित इमारतों को बुलडोजर से गिराया जाएगा. प्रशासन ने असुरक्षित और खतरनाक इमारतों की पहचान भी कर ली है और उन्हें रेड क्रॉस (X) से चिह्नित किया है.
चमोली जिला प्रशासन ने कहा कि जोशीमठ के 9 वार्डों में 600 से अधिक इमारतों में दरारें आ गई हैं और अब तक 82 परिवारों को रेस्क्यू किया गया है. उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भी पहुंचा दिया गया है. चमोली डीएम ने कहा कि जोशीमठ को आपदा क्षेत्र घोषित किया है. इसी के साथ, जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
#WATCH via ANI Multimedia | Joshimath ‘sinking’: Dangerous for living buildings marked with red ‘X’ symbol
— ANI (@ANI) January 9, 2023
#Uttarakhand #Joshimath #Chamolihttps://t.co/OrwFtPoaoB
'पीएम कर रहे हैं क्षेत्र के विकास की निगरानी'
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार (9 जनवरी) को सभी से जोशीमठ को बचाने के लिए एक टीम के रूप में काम करने की अपील की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्षेत्र के विकास की निगरानी कर रहे हैं. इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने सुरक्षा और बचाव कार्यों के लिए चमोली को 11 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी की है.
केंद्र ने किया पैनल का गठन
जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार है और इसे उस स्थान के रूप में जाना जाता है जहां सदियों पहले आदि गुरु शंकराचार्य ने तपस्या की थी. केंद्र सरकार ने भू-धंसाव की घटना और जोशीमठ पर इसके प्रभाव का "त्वरित अध्ययन" करने के लिए एक पैनल का भी गठन किया है.
NDRF की टीम तैयार
जोशीमठ में किसी भी राहत और बचाव अभियान में स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की एक टीम को तैयार रखा गया है. राज्य की राजधानी देहरादून से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्र से एनडीआरएफ के बचाव दल शनिवार को स्थान पर पहुंच गए थे.
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