मुंबई: बंबई हाईकोर्ट ने सेना के एक जवान को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी एक महिला पत्रकार को जमानत दे दी है. कोर्ट ने यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी कि उसके खिलाफ 'प्रथम दृष्टया' में कोई मामला नहीं बनता. आरोपी के खिलाफ शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज है.




जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने बीते 26 अप्रैल को ‘द क्विंट’ की वरिष्ठ पत्रकार पूनम अग्रवाल और सेवानिवृत्त सैनिक एवं योद्धा दीपचंद सिंह को अग्रिम जमानत दे दी.


पिछले महीने नासिक की देवलाली कैंप पुलिस ने दोनों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. पत्रकार के खिलाफ शासकीय गोपनीयता अधिनियम की धारा तीन जासूसी, धारा सात पुलिस के अधिकारियों या संघ के सशस्त्र बलों के सदस्यों के कामकाज में हस्तक्षेप करना के तहत भी मामला दर्ज किया गया.


पुलिस के अनुसार पूनम पर प्रतिबंधित इलाकों में जाकर वहां शूटिंग कर सैन्य नियमों का उल्लंघन करने के लिए भी मामला दर्ज किया गया. पूनम पर अधिकारियों की मंजूरी के बिना देवलाली कैंप स्थित हेग लाइन्स में घुसने और परिसर में वीडियो बनाने का आरोप है. इसके अलावा उनपर 24 फरवरी को मैथ्यू एवं दूसरे जवानों का स्टिंग ऑपरेशन करने का भी आरोप है. पत्रकार ने कथित रूप से स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सवाल पूछे थे. 33 साल के मैथ्यू बीते दो मार्च को यहां के देवलाली छावनी में एक अपरित्यक्त बैरक के एक कमरे की छत से लटके मिले थे.


पुलिस के अनुसार पूनम एवं दीपचंद द्वारा किए गए इस स्टिंग ऑपरेशन में सेना की ‘‘सहायक प्रणाली’’ का खुलासा किया गया था और इसमें नजर आए मैथ्यू ने डर एवं शर्म के कारण बाद में आत्महत्या कर ली. सेशन कोर्ट ने अग्रिम जमानत की याचिकाएं खारिज करने के बाद दोनों ने हाईकोर्ट का रूख किया था.