नई दिल्ली: देश के बड़े न्यूज चैनल एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय के ठिकानों पर सीबीआई छापे का विवाद थमा नहीं है. फेसबुक, टिवटर पर माहौल ऐसा बना हुआ है जैसे मोदी सरकार और मीडिया संस्थानों के बीच जंग चल रही हो. एनडीटीवी सीबीआई के छापा कांड ने देश की पत्रकार बिरादरी, बुद्धिजीवियों और राजनीतिक पार्टियों को दो हिस्से में बांट दिया है.


देश में एनडीटीवी को लेकर कोहराम सिर्फ इस बात को लेकर मचा हुआ है कि कैसे सरकार ने एक मीडिया कंपनी पर हाथ डाल दिया.


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘’यह छापेमारी सरकार की बेशर्मी दिखाती है. कल हम बेशर्मी देख रहे थे. लोग हजारों करोड़ रूपए लेकर भाग गए हैं, ऐसे में सरकार 50 करोड़ रूपए के मामले से इतना क्यों परेशान है?’’




  • केजरीवाल ने कहा- ‘’ये स्वतंत्र और सत्ता विरोधी आवाजों को बंद कर देने की कोशिश है.’’

  • लालू ने कहा- ‘’जो नेता, पत्रकार और मीडिया घराना उनके नाम का बाजा नहीं बजाएगा. सरकारी भोंपू नहीं बनेगा. उसपर ये केस, मुक़दमे और छापे डलवाएंगे. यही आपातकाल है.’’

  • ममता बनर्जी ने लिखा- ‘’ये परेशान करने वाला ट्रेंड़ है.


आप के प्रवक्ता और पूर्व संपादक आशूतोष ने कहा, ‘’ये हिन्दुस्तान की आजाद, स्वतंत्र मीडिया को कुचलने का बहुत बड़ा प्रयास है.ये साफ तौर पर मोदी सरकार की तरफ से एक इशारा है कि जो मोदी जी की आरती नहीं उतारेगा उनके लिए जगह नहीं होगी.’’


पत्रकार बिरादरी ने क्या कहा


वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा, ‘’ ये कार्रवाई इस वजह से की जा रही है कि प्रणय रॉय की एक छवि बन गई है कि वह सरकार विरोधी हैं. मैं कहूंगा की हमें देखना है कि क्या वाकई आप एक संस्था को टारगेट कर रहे हैं, पूरी मीडिया को टारगेट कर रहे हैं ? या वाकई आपके पास कोई सबूत है.’’


वरिष्ठ पत्रकार कुमार केतकर ने कहा, ‘’वह सिर्फ दुर्भावना से ही ग्रस्त नहीं, वो एक बदले की भावना की गई कार्रवाई है, क्यों कि एनडीटीवी स्वतंत्र है. और मोदी सरकार की जो गलतियां थी, उसपर एनडीटीवी आघात करता था. लेकिन मोदी सरकार ने अबतक जिस तरह से व्यवहार किया है. उसे लगता है कि मोदी पूरा मीडिया कंट्रोल में चाहते हैं.’’


जनसत्ता अखबरा के पूर्व संपादक ओम थानवी ने कहा, ‘’जहां लोग जनता के हजारों-हजार करोड़ रुपए डकार कर बैठे हुए हैं, वहां एक प्राइवेट बैंक का पैसा जो चुकाया जा चुका है. दो लोगों के बीच जो भी समझौता हुआ. उस केस में एक प्राइवेट कंपनी की शिकायत पर सीबीआई एक ऐसे मीडिया हाऊस पर छापा मारे जिसकी एक प्रतिष्ठता है. ऐसे में कोई भी समझ सकता कि ये क्यों हो रहा है.’’


पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व संपादक अरुण शौरी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं.


क्या कहा अरुण शौरी ने?


’इस बात में कोई शक नहीं है कि छापे बाकी मीडिया को ये संकेत देने के लिए मारे गए कि आप साथ नहीं रहोगे तो आपके साथ भी यही होगा. आज हर तरफ डर का माहौल है. दूसरी जगहों के मुकाबले दिल्ली में ये डर ज्यादा दिखाई देता है. मीडिया में आम धारणा है कि अरे ये तो बदला लेने वाली सरकार है, अरे तुम वो पीएम को जानते नहीं हो, तुम अमित शाह को जानते नहीं. ये सीबीआई को कंट्रोल करते हैं. ये डर और ज्यादा बढ़ेगा क्योंकि सरकार के दावों और जनता की उम्मीदों के बीच का अंतर बढ़ रहा है. वो मीडिया को और ज्यादा दबाने और उसे मैनेज करने का काम करेंगे.’’


सीबीआई ने मारा था प्रणय रॉय के ठिकानों पर छापा


बता दें कि दो दिन पहले सीबीआई ने एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय के खिलाफ केस दर्ज करके दिल्ली से लेकर देहरादून-मसूरी तक छापेमारी की थी. सीबीआई ने छापे के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने का दावा भी किया है. एनडीटीवी ने कहा है कि उसने बैंक का कर्ज चुका दिया है. सीबीआई के इस छापे को लेकर सोशल मीडिया पर भी मोदी सरकार की किरकिरी हो रही है.


क्या है मामला


सीबीआई के मुताबिक, प्रणय राय और उऩकी कंपनी ने एक बड़ी प्राइवेट कंपनी से 500 करोड़ रुपये का लोन लिया था. इस लोन को चुकाने के लिए उनकी कंपनी ने आईसीआईसी बैंक से 375 करोड का लोन 19 प्रतिशत ब्याज की दर से लोन लिया. आरोप है कि लोन चुकाने के लिए प्रणय राय की कंपनी ने प्रमोटरो की सारी शेयर होल्डिंग्स को शेयरधारकों को बताए बिना गिरवी रख दिया था.


आरोप है कि शेयर गिरवी रखे जाने की जानकारी ना तो सेबी को दी गई ना स्टॉक एक्सचेंज को और ना ही सूचना प्रसारण मंत्रालय को. आरोप है कि इन लोगो ने 61 प्रतिशत शेयर गिरवी रख दिए जो बैकिंग एक्ट 19 का भी उल्लघंन है.


बैंक को 48 करोड़ के नुकसान पहुंचाने का आरोप


आरोप है इसके अलावा आईसीआईसी बैंक का लोन भी प्रणय रॉय और उनकी कंपनी नहीं चुका रहे थे, जिसके बाद बैंक ने उनसे एक मुश्त लोन चुकाने का फैसला किया और बैंक ने अपनी ब्याज दर 19 प्रतिशत से घटा कर 9 प्रतिशत कर दी, जिससे बैंक को 48 करोड़ का नुकसान हुआ. इस मामले में बैंक के भी कुछ अधिकारियों की प्रणय राय को फायदा पहुंचाने के आरोप की भी जांच की जा रही है.


NDTV ने अपनी सफाई में क्या कहा ?
एनडीटीवी ने बयान जारी कर कहा, ”ये आरोप उस एक लोन से जुड़ा लगता है जिसे प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने सात साल साल पहले ही चुका दिया था. ऐसे समय जब कई उद्योगपितयों ने लाखों, करोड़ों रुपये का बकाया नहीं चुकाया है और उनमें से किसी के भी ख़िलाफ़ सीबीआई ने कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं किया तब सीबीआई ने न सिर्फ़ एक एफ़आईआर दर्ज की है, बल्कि ऐसे लोन के लिए तलाशी ली है जिसे ICICI बैंक को विधिवत पूरी तरह चुकाया जा चुका है. ऊपर से ICICI भी एक प्राइवेट बैंक है.”