जेपी नड्डा ने दी राहुल गांधी को चुनौती, सीएए पर 10 लाइनें बोलकर दिखाएं
कांग्रेस पर इस मुद्दे पर राष्ट्र को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए नड्डा ने कहा कि वह इतनी बड़ी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्हें खुद तय करना है कि उन्हें यह कैसे करना है, लेकिन उन्हें देश को गुमराह नहीं करना चाहिए.
नई दिल्ली: बीजेपीके कार्यकारी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए उन्हें नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर दस लाइनें बोलने की चुनौती दी है. नड्डा नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थन में यहां आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, "कांग्रेस सीएए का विरोध कर रही है. मैं राहुल गांधी को इस कानून पर 10 लाइनें बोलने की चुनौती देता हूं. उन्हें दो लाइनों में बताना चाहिए कि सीएए के साथ उनकी क्या समस्या है."
कांग्रेस पर इस मुद्दे पर राष्ट्र को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए ट्विटर के जरिए कांग्रेस पर हमला बोला. नड्डा ने ट्वीट में कहा, "कांग्रेस और वामपंथियों के लिए वोट पहले है, देश बाद में, नरेंद्र मोदी जी के लिए देश पहले है और वोट बाद में. कांग्रेस ने जो भी फैसले लिए वो वोटबैंक की राजनीति के चलते लिए. ये समस्याओं को उलझाकर राजनीति करते हैं."
यह कार्यक्रम सीएए के लिए समर्थन हासिल करने के लिए था, जिसका उद्देश्य सभी जातियों, समुदायों और धर्मों के लोगों को बीजेपीके विचारों से अवगत कराना था.
बीजेपीलोगों को स्पष्ट करना चाहती है कि इस नए कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करके 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, न कि किसी भारतीय की नागरिकता छीनने का.
वहीं दूसरी ओर विपक्षी कांग्रेस व अन्य दल इस कानून को असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण करार देते हुए इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे 'नागरिकता अधिनियम 1955' नाम दिया गया. मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे 'नागरिकता संशोधन बिल 2016' नाम दिया गया है. पहले 'नागरिकता अधिनियम 1955' के मुताबिक, वैध दस्तावेज होने पर ही लोगों को 11 साल के बाद भारत की नागरिकता मिल सकती थी.
किन देशों के शरणार्थियों को मिलेगा फायदा?
इस कानून के लागू होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी यानी हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. मतलब 31 दिसंबर 2014 के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.
देश में कहां-कहां लागू नहीं होगा ये कानून?
नागरिकता संशोधन बिल की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में लागू नहीं होगा (जो स्वायत्त आदिवासी बहुल क्षेत्रों से संबंधित है), जिनमें असम, मेघायल, त्रिपुरा और के क्षेत्र मिजोरम शामिल हैं. वहीं ये बिल उन राज्यों पर भी लागू नहीं होगा, जहां इनर लाइन परमिट है. जैसे अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम.
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