नई दिल्लीः जेपी नड्डा के लिए पहली असली चुनौती तो बिहार का चुनाव है. इसके लिए पीएम नरेन्द्र मोदी ने लाईन भी खींच दी है. वो भी नड्डा के अध्यक्ष बनने के पहले ही दिन. दिल्ली के बीजेपी हेड क्वार्टर में मोदी ने कहा कि हिमाचल वाले बड़े खुश हो रहे होंगे कि उनका बेटा अध्यक्ष बन गया है. नड्डा जी पर जितना हक हिमाचल का है, उसे ज़्यादा बिहार वालों का है. क्योंकि नड्डा जी की पढ़ाई पटना में हुई है.


जेपी नड्डा के बारे में पीएम नरेन्द्र मोदी ने जो भी कहा वह सोलह आने सच है. लेकिन जिस मंच और मौक़े पर मोदी ने ये सब कहा, उसके बड़े मायने हैं. ख़ास तौर पर चुनावी राजनीति में.


इसी साल के आख़िर में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं. बीजेपी नेताओं को बखूबी पता है दिल्ली में दाल नहीं गलने वाली है. इसीलिए सारा ज़ोर बिहार पर है. इसीलिए बातें नड्डा के पटना कनेक्शन की हो रही हैं.


पटना यूनिवर्सिटी से किया है ग्रेजुएशन


बीजेपी के नये अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का जन्म 2 दिसंबर 1960 को पटना में हुआ. वहाँ के सेंट ज़ेवियर स्कूल से उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की. फिर पटना यूनिवर्सिटी से ही बीए किया. फिर नड्डा वकालत की पढ़ाई करने शिमला चले गए. वहीं से वे एबीवीपी के ज़रिए राजनीति में पहुँच गए. नड्डा का कुल मिला कर यही बिहार कनेक्शन है. स्कूल और कॉलेज के दिनों के कई मित्र बिहारी हैं.


अब चर्चा करते हैं असली मुद्दे यानी बिहार चुनाव की. बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि अगला चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेंगे. अभी पिछले ही हफ़्ते वैशाली में पार्टी के मंच से यही बात दुहराई.


बीजेपी और जेडीयू, दोनों ही पार्टियों के कुछ नेता नहीं चाहते हैं कि चुनाव साथ लड़ें. लेकिन बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व मन बना चुका है. पीएम नरेन्द्र मोदी का नड्डा को बिहारी बताने के पीछे बड़ा संदेश है. मैसेज चुनावी है.


पीएम मोदी जानते हैं बिहार की स्थिति


पीएम मोदी जानते हैं कि बिहार का चुनाव जीतना कितना ज़रूरी है. चुनौती जेडीयू से गठबंधन बचाए और बनाए रखने की भी है. दोनों पार्टियों के बीच मनभेद जग ज़ाहिर है. इसी कड़वाहट के कारण मोदी मंत्रिमंडल से जेडीयू अब तक बाहर है.


सीटों के बंटवारे को लेकर अभी से बीजेपी और जेडीयू के बीच किच-किच शुरू हो गई है. दोनों ही पार्टियों के नेता अपने अपने फ़ार्मूले बताने और समझाने लगे हैं. बीजेपी 50-50 के फ़ार्मूले पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. जेडीयू हर हाल में बीजेपी से अधिक सीटें चाहती है.


नीतीश के सलाहकार अलाप रहे हैं अलग राग


नीतीश के सलाहकार 2-1 के फ़ार्मूले की वकालत कर रहे हैं. तब जेडीयू 140 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि जेडीयू के हिस्से 103 सीटें आई थीं. लेकिन तब लोक जन शक्ति पार्टी (एलजेपी) गठबंधन से बाहर थी.


पिछले साल लोकसभा चुनाव में 50-50 के फ़ार्मूले पर दोनों दल चुनाव लड़े थे. जेडीयू की तरफ़ से प्रशांत किशोर लगे हुए हैं. वे माहौल बना रहे हैं पार्टी को बीजेपी से अधिक सीटें मिले. इसीलिए मोदी ने नड्डा को आगे कर दिया है. वो भी उन्हें बिहारी बना कर और बता कर.


हिंदी भाषी इलाक़े में बीजेपी कई राज्य गंवा चुकी है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और फिर झारखंड. अब बीजेपी अपने लिए बिहार में बहार बनाए रखने की जुगत में है.


'आप और नेतृत्व मेरा साथ हैं, मैं पूरी ताकत के साथ आगे बढूंगा'- JP Nadda