नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब करने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने एक और कड़ा कदम उठाया है. इसके तहत बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की सुरक्षा में तैनात तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने का निर्देश पश्चिम बंगाल प्रशासन को भेजा गया है. मुख्य सचिव और डीजीपी के 14 दिसंबर को पेश नहीं होने पर बंगाल सरकार और केन्द्र के बीच प्रशासनिक और कानूनी जंग शुरू हो सकती है. उधर पश्चिम बंगाल सरकार ने इन तीनों अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने से इनकार कर दिया है.


केन्द्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच चल रही तनातनी में नया मोड़ आया है. आज केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में तैनात तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने के निर्देश बंगाल सरकार को भेजे हैं. बताया जा रहा है कि ये तीनों अधिकारी जेपी नड्डा के बंगाल दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में तैनात किए गए थे. इस पत्र के साथ ही एक बार फिर बंगाल और केन्द्र के बीच तनातनी बढ़ सकती है. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इन तीनों अधिकारियों को जनहित में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने को कहा गया है.


मंत्रालय के मुताबिक ऐसी प्रतिनियुक्ति पर भेजने से कोई भी राज्य मना नहीं कर सकता है. इसके पहले भी केन्द्र ने तमिलनाडु कैडर की एक महिला पुलिस अधिकारी को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने को कहा था. तत्कालीन तमिलनाडु सरकार ने उन्हें भेजने से मना कर दिया था लेकिन लंबी जद्दोजहद के बाद उक्त महिला अधिकारी को केन्द्र में भेजना पड़ा था.


सूत्रों के मुताबिक, मामला केवल यहीं तक नहीं है. केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इसी मामले में बंगाल के गर्वनर की कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट मिलने के बाद बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को 14 दिसंबर को गृह मंत्रालय मे तलब किया था. लेकिन इन दोनों अधिकारियो को बंगाल सरकार नहीं भेज रही है. हांलाकि ये दोनों अधिकारी इस समय राज्य सरकार के अधीन काम कर रहे हैं औऱ बिना उसकी मर्जी के ये दोनों दिल्ली नहीं आ सकते. लेकिन इन दोनों को मंत्रालय को बताना पड़ेगा कि राज्य सरकार उन्हें आने नहीं दे रही. ऐसे में यदि केन्द्र सरकार भी गर्वनर की कानून व्यवस्था रिपोर्ट को लेकर अड़ी तो बंगाल सरकार के खिलाफ धारा 356 के तहत यानि बर्खास्त करने की कार्रवाई भी शुरू हो सकती है.


गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने कहा कि हम जो कार्रवाई कर रहे हैं वह एक केन्द्रीय प्रोटेक्टी की सुरक्षा में हुई लापरवाही को लेकर है. हमें किसी राज्य या राजनेता से मतलब नहीं है. लेकिन अगर प्रोटेक्टी को मिलने वाली सुरक्षा मे राज्य सरकार राजनीति की आड़ मे खिलवाड़ करेगी तो हमें तो एक्शन लेना ही होगा क्योंकि कहीं ऐसे ही कारनामे दूसरे राज्यों में शुरू ना हो जाएं. भविष्य में इसका गंभीर खामियाजा ना उठाना पड़े.


ये पूरा मामला बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के दो दिवसीय बंगाल दौरे से जुडा हुआ है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले और उनकी सुऱक्षा को लेकर हुई लापरवाही के बाद केन्द्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल से कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगी थी. रिपोर्ट के आकलन के बाद डीजीपी और मुख्य सचिव को बुलाया गया था. फिलहाल आने वाले सप्ताह में केन्द्र औऱ पश्चिम बंगाल सरकार के बीच नयी जंग देखने को मिल सकती है.


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