नई दिल्ली: जे पी नड्डा इसी महीने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं. दो तारीख़ों पर विचार मंथन चल रहा है. 19 जनवरी या फिर 22 जनवरी. पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व का मन दिल्ली चुनाव से पहले ही नड्डा को अध्यक्ष बनाने का है. पहले चर्चा थी कि चुनाव के बाद उन्हें ये ज़िम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन अब रणनीति बदल गई है.


ऐसी मान्यता रही है कि 14 जनवरी से पहले का समय शुभ नहीं होता है. कोई नया काम इस दौरान शुरू नहीं करते हैं. इसीलिए बीजेपी में ज़िले से लेकर प्रदेश स्तर तक अध्यक्षों के चुनाव पर रोक है. काग़ज़ी कार्रवाई लगभग पूरी कर ली गई है. मकर संक्रांति के तुरंत बाद नतीजों की घोषणा शुरू हो जाएगी.


बताया गया है कि 18 जनवरी तक 50 प्रतिशत राज्यों में अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा. पार्टी के संविधान के मुताबिक़ आधे राज्यों में चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है. पता चला है कि 19 फ़रवरी तक 80 फ़ीसदी राज्य ईकाईयों के चुनाव हो जायेंगे.


पहले इस बात की तैयारी थी कि जे पी नड्डा को दिल्ली चुनाव के बाद अध्यक्ष बनाया जाए. तब तक अमित शाह ही इस पद पर बने रहें. लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि प्लान बदल गया है. ये कहा गया है कि दिल्ली के चुनाव से संगठन के चुनाव पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है. अगर नड्डा चुन लिए गए तो वे बीजेपी के 11 वें अध्यक्ष होंगे. अभी वे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.


जे पी नड्डा कॉलेज के दिनों से ही बीजेपी से जुड़े रहे हैं. 1993 में वे पहली बार हिमाचल प्रदेश से पार्टी के विधायक चुने गए. फिर कई सरकारों में मंत्री रहे. 2012 में नड्डा राज्य सभा के सांसद बने. फिर केन्द्र में मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे. यूपी के प्रभारी रहे.


अब वे पार्टी के सबसे बड़े पद पर पहुंचेंगे. इसी साल के आख़िर में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं. फिर अगले साल बंगाल की बारी है. नड्डा के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्यों में पार्टी के लिए बेहतर नतीजे लाने की होगी.


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