JPC Meeting on Waqf Amendment Bill: वक्फ बोर्ड में संशोधन से जुड़े विधेयक पर विचार के लिए बनाई गई जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (JPC) की पहली बैठक आज (22 अगस्त 2024) होगी. यह संसद की संयुक्त समिति की पहली बैठक होगी. बैठक से पहले विपक्षी दलों का कहना है कि वह इस बिल का विरोध करेंगे.
वहीं दूसरी ओर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने गुरुवार को कहा कि वे विधेयक पर चर्चा के दौरान अल्पसंख्यक संगठनों के अधिक से अधिक लोगों को ज्यादा से ज्यादा मौका देंगे. पाल ने कहा कि सरकार का इस विधेयक को लाने का एक खास उद्देश्य है कि वक्फ को सौंपी गई संपत्तियां पिछड़े मुसलमानों और महिलाओं की मदद करें.
'सबको ज्यादा से ज्यादा मौके देंगे'
उन्होंने कहा कि हमारे जेपीसी के सभी सदस्य इस विधेयक पर चर्चा करेंगे. जो भी चिंताएं हैं, हम उन पर जेपीसी में चर्चा करेंगे. हमें न केवल अपने हितधारकों, बल्कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, जिस अधिनियम में हम संशोधन कर रहे हैं, के साथ चर्चा करनी चाहिए, बल्कि हमें राज्य वक्फ बोर्डों के अध्यक्षों, हमारे अल्पसंख्यक समुदायों के संगठनों को भी बुलाना चाहिए, चाहे वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हो, जमीयत उलेमा-ए-हिंद हो या कोई और हो. हम अधिकतम लोगों को अवसर देंगे.
मीटिंग के मुद्दे क्या हैं
इस मीटिंग का सबसे बड़ा एजेंडा इस पर चर्चा करना है. इस बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि सदस्यों और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है. ये सभी इस विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों के बारे में जानकारी देंगे. इसके बाद विपक्षी दल और अन्य मुस्लिम संगठनों से इस पर राय और उनकी आपत्ती ली जाएगी.
क्या है मौजूदा कानून का वो हिस्सा, जिसपर है विवाद?
दरअसल, वक्फ कानून के सेक्शन 40 पर सबसे ज्यादा विवाद है. इसके मुताबिक अगर वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति समझता है तो वो उसे नोटिस देकर और फिर जांच करके ये तय कर सकता है कि वो वक्फ का हिस्सा है. वह यह भी तय कर सकता है कि ये शिया वक्फ है या फिर सुन्नी. वक्फ बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ सिर्फ ट्रिब्यूनल में जाया जा सकता है. फरवरी 2023 में तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में जवाब देकर इस प्रावधान को स्पष्ट किया था. स्मृति ईरान के जवाब के मुताबिक सेक्शन 40 कहता है, "स्टेट वक्फ बोर्ड को किसी भी सवाल पर फैसला करने का अधिकार है कि क्या कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं या फिर ये सुन्नी वक्फ है या शिया. बोर्ड ऐसे कारण पर विधिवत विचार करने और अगर जरूरत पड़ती है तो जांच करने के बाद मामले पर निर्णय लेता है. इस सेक्शन के तहत किसी भी सवाल पर बोर्ड का फैसला अंतिम ही रहता है, जब तक कि ट्रिब्यूनल की ओर से उसे रद्द या संशोधित नहीं किया जाता है."
AAP बैठक में करेगी विधेयक का विरोध- संजय सिंह
इन सबसे अलग आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि उनकी पार्टी वक्फ बोर्ड बिल का विरोध करेगी. संजय सिंह ने कहा कि संविधान की धारा-26 जो धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी देता है. यह बाबा साहेब का संविधान जो भारत में लागू हुआ है. संविधान में लिखा है कि धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन में कोई भी व्यवधान सरकार का नहीं होगा. सरकार का मकसद जमीन को कब्जा करके अडानी को देना है. एक दिन आएगा जब मंदिर की जमीन कब्जा करके सरकार की ओर से अपने दोस्तों को दी जाएगी. हमारी पार्टी आज की बैठक में इसका विरोध करेगी.
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