JSW Group Sajjan Jindal Rape Case: जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सज्जन जिंदल (Sajjan JIndal) के खिलाफ मुंबई की एक एक्ट्रेस की ओर से दुष्कर्म के मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी जिसमें अब मुंबई पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है. मुंबई पुलिस का कहना है कि जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन आरोपी जिंदल के खिलाफ रेप का मामला झूठा था और शिकायतकर्ता ने उनको झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की थी.
इंडिया टुडे टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई पुलिस ने 16 मार्च को बांद्रा मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दायर की है. इस पर मुंबई पुलिस का कहना है कि शिकायतकर्ता ने 'आरोपी को झूठे अपराध में फंसाने के इरादे से' बलात्कार का मामला (जिंदल के खिलाफ) दर्ज कराया था.
घटना के दिन को होटल नहीं गये थे जिंदल
बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) पुलिस को जांच पड़ताल में पता चला कि जिस दिन का महिला ने दावा किया था कि उद्योगपति सज्जन जिंदल ने उसके साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की थी, उस दिन वह होटल नहीं गये थे. क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने उस दिन होटल के गवाहों की गवाही भी ली है जिसको इसमें शामिल किया गया है.
बॉम्बे हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने दर्ज की थी एफआईआर
इस मामले में एफआईआर पिछले साल दिसंबर में दर्ज की गई थी जब मुंबई की एक महिला ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसके वकीलों ने कोर्ट को अवगत कराया था कि उसने पहली बार फरवरी 2023 में बीकेसी पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने उसकी शिकायत पर गौर नहीं किया. महिला ने अपनी कंप्लेंट में कहा था कि उसके साथ घटित यह घटना 24 दिसंबर, 2021 की है.
महिला ने घटना के लंबे समय बाद दर्ज कराई थी शिकायत
पुलिस ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट में यह भी शामिल किया है कि उसने देखा कि महिला ने घटना होने के लंबे समय बाद शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने कहा कि शिकायत में लगाये गए आरोपों से जुड़े सबूत शिकायतकर्ता की ओर से प्रस्तुत नहीं किये जा सके हैं.
बयान दर्ज कराने को शिकायतकर्ता नहीं हुईं थी उपस्थित
जांचकर्ताओं ने कहा कि कोर्ट को लिखित में इससे भी अवगत कराया है कि शिकायतकर्ता को बार-बार बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित होने को कहा गया. बाजवूद इसके वह उपस्थित नहीं हुईं. पुलिस का कहना है कि उन्होंने (शिकायतकर्ता) ने कोर्ट का समय बर्बाद किया है. पुलिस ने सभी गवाहों की गवाही और एकत्र सबूतों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि महिला के साथ कोई गलत कृत्य नहीं हुआ था. पुलिस ने मजिस्ट्रेट कोर्ट से 'समरी जजमेंट' देने का आग्रह किया है. यह जजमेंट बिना सुनवाई किए दिया जाने वाला निर्णय होता है.