नई दिल्ली: जज लोया मौत मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. बॉम्बे हाई कोर्ट में लंंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला बेहद अहम है. वो मामले से जुड़े सभी तथ्यों को गौर से देखना चाहता है. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष अपने पास मौजूद दस्तावेज जमा कराएं. मामले की अगली सुनवाई 2 फरवरी को दोपहर 2 बजे होगी.
कोर्ट का माहौल गर्म
मामले की जांच की मांग करने वाले बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे कोर्ट में पेश हुए. अपने हमलावर तेवर के लिए पहचाने जाने वाले दवे ने मामला शुरू होते ही महाराष्ट्र सरकार के वकील हरीश साल्वे पर हमला बोल दिया. दवे ने कहा, "हरीश साल्वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में अमित शाह के वकील रह चुके हैं. अब महाराष्ट्र सरकार के लिए पैरवी कर रहे हैं. कोर्ट को उन्हें नहीं सुनना चाहिए."
इससे तिलमिलाए हरीश साल्वे ने कहा, "ये दो अलग केस हैं. उन्हें नैतिकता पर न तो दवे से लेक्चर की ज़रूरत है, न सर्टिफिकेट की." फिर भी दवे ये बिंदु उठाते रहे. उन्होंने महाराष्ट्र के दूसरे वकील मुकुल रोहतगी और कुछ अन्य वकीलों पर भी ऐसे आरोप लगाए.
आखिरकार कोर्ट को ये कहना पड़ा कि वकील केस के तथ्यों पर बात करें. 3 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "कौन वकील किस मामले में पेश हो, इसकी सलाह कोर्ट नहीं देती. हमें मामले के तथ्यों पर बात करनी चाहिए."
इसके बाद भी दुष्यंत दवे बीच बीच मे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम लेते रहे. उन्होंने कहा कि मामले में अमित शाह को बचाने की कोशिश की जा रही है. मुकुल रोहतगी समेत कुछ वकीलों ने कोर्ट में नामौजूद किसी शख्स का नाम बार बार उछालने पर
जस्टिस चंद्रचूड़ ने दवे से कहा- "अभी तक ये मामला प्राकृतिक मौत का है. आपने खुद भी इस बात को माना है. ऐसे में ये सही नहीं लगता कि आप बार-बार किसी ऐसे व्यक्ति पर आरोप लगाएं जो हमारे सामने मौजूद नहीं है."
चीफ जस्टिस की फटकार
इस बीच हरीश साल्वे ने सलाह दी कि भविष्य में इस मामले की सुनवाई सिर्फ मामले से जुड़े वकीलों की मौजूदगी में हो. याचिकाकर्ता पक्ष के दुष्यंत दवे और इंदिरा जयसिंह ने इस पर कड़ा एतराज किया.
उनका कहना था कि मामले से मीडिया को दूर रखने की कोशिश की जा रही है. इस बीच इंदिरा जयसिंह ने ऊंची आवाज में कहा, "इस कोर्ट ने पद्मावत की रिलीज़ का आदेश दिया. इसे मीडिया पर रोक लगाने का आदेश नहीं देना चाहिए."
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा इस पर नाराज़ हो गए. उन्होंने इंदिरा जयसिंह को बुरी तरह फटकारते हुए कोर्ट से माफी मांगने को कहा. उनका कहना था कि साल्वे ने कुछ कहा, जिसे कोर्ट ने सुना. कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया है. इंदिरा जयसिंह कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं. ये बहुत गलत बात है.