Judiciary Crisis: देशभर की अलग-अलग अदालतों खास तौर पर हाई कोर्ट और निचली अदालतों में लाखों की संख्या में मामले लंबित है. इसकी एक बड़ी वजह जजों की कमी को बताया जाता रहा है, लेकिन अब जो आधिकारिक आंकड़ा सामने आया है उसने इस बात पर मुहर भी लगा दी है. कानून मंत्रालय ने राज्यसभा में दिए एक जवाब में कहा है कि जहां देशभर की 25 हाई कोर्ट में कुल 364 जजों की कमी है तो वही देश भर के निचली अदालतों में 5245 जजों की कमी है.
कानून मंत्रालय के ये आंकड़ा चौंका जरुर सकता है क्योंकि इन आंकड़ों से साफ है कि देश का कोई ऐसा राज्य नहीं है. जहां पर हाई कोर्ट हो या निचली अदालतें जजों की कमी से ना जूझ रही हो. कानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 जजों की जरूरत है जबकि वहां पर 81 जज ही मौजूद है यानी 79 जजों की कमी है.
- इसी तरह मुंबई हाई कोर्ट में जहां 94 जज होने चाहिए थे वहां पर 68 जज ही मौजूद है यानी 26 जजों की वैकेंसी है.
- बात की जाए कोलकाता हाई कोर्ट की तो वहां पर 72 जज होने चाहिए, लेकिन है 43 यानी 29 जजों की कमी.
- दिल्ली हाई कोर्ट में जहां 60 जज होने चाहिए थे वहां पर 36 जज ही कार्यरत है. यानी 24 जजों की है कमी.
कमोवेश देशभर की हाईकोर्ट में जजों की वैकेंसी इसी तरह बनी हुई है और इसी के चलते 364 जजों की कमी है.
अब बात करते हैं निचली अदालतों की तो निचली अदालत में भी देश भर में 5245 जजों की कमी है. उदाहरण के तौर पर अगर बड़े राज्यों की ही बात करें तो जहां
- बिहार में 483 जजों की कमी है, वही गुजरात में 535 जजों की कमी है.
- मध्य प्रदेश की निचली अदालतों में 336 जजों की कमी है.
- महाराष्ट्र की निचली अदालतो में 250 जजों की कमी है.
- राजस्थान में जहां 327 जजों की कमी है तो तमिलनाडु में 346 जजों की
- जहां निचली अदालतों में जजों की सबसे ज्यादा कमी है वो है देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में जहां पर निचली अदालतों में 981 जजों की कमी है.
कानून मंत्रालय का यह आंकड़ा अपने आप में यह भी बताता है कि आखिर हमारे देश में क्यों एक-एक मुकदमे की सुनवाई सालों साल चलती रहती है. हालांकि उच्च अदालतों के द्वारा लगातार जजों की संख्या बढ़ाने को लेकर बात होती रहती है और सरकार भी इस ओर कदम उठाने का जिक्र करती रही है, लेकिन आज की तारीख में भी हकीकत यह है कि हाईकोर्ट हो या निचली अदालतें देश भर के हर एक राज्य में हाईकोर्ट हो या निचली अदालतें जजों की कमी से जूझ रही है. इसके चलते बढ़ती जा रही है मामलों की संख्या और लोगों को मिल रही है सिर्फ तारीख पर तारीख.