नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी जज की नियुक्ति की उसकी सिफारिश सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के आधार पर लौटा देती है तो ऐसे मामलों में कोलेजियम का ही निर्णय अंतिम होगा .
किसी उम्मीदवार को न्यायाधीश नियुक्त करने को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित को आपत्ति के नए आधार के तौर पर स्वीकार करते हुए समझा जाता है कि कोलेजियम ने साफ कर दिया है कि सरकार के पास उसकी सिफारिशों को खारिज करने का अधिकार नहीं होगा.
भारत के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों की संस्था कोलेजियम ने साफ कर दिया है कि यदि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के आधार पर आपत्ति करती है तो वह कोलेजियम को इस बारे में अवगत कराएगी.
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कोलेजियम इस पर अंतिम निर्णय करेगा. न्यायाधीशों के चयन में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कोलेजियमों की सहायता के लिए शीर्ष न्यायालय और 24 उच्च न्यायालयों में सचिवालय स्थापित करने की सरकार की मांग भी स्वीकार कर ली गई है . लेकिन कोलेजियम ने यह मांग मानने से इनकार कर दिया कि योग्य उम्मीदवारों को तलाशने के लिए कोलेजियमों की सहायता करने के लिए सेवानिवृत या सेवारत न्यायाधीशों की समितियां बनाई जाएं.
पिछले काफी समय से सरकार और सुप्रीम कोर्ट मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं . मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर एक ऐसा दस्तावेज है जिससे हाईकोर्ट्स में जजों की नियुक्ति निर्देशित हो सकेगी.
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून खारिज करते वक्त सुप्रीम कोर्ट मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के पुनरीक्षण पर सहमत हुआ था ताकि शीर्ष न्यायालय और हाईकोर्ट्स में जजों की नियुक्ति में ज्यादा पारदर्शिता लाई जा सके.