जोधपुर: आसाराम को एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाने वाली जोधपुर की एक विशेष ‘पॉक्सो’ अदालत ने कहा है कि 'संत कहे जाने के' बावजूद आसाराम ने घृणित अपराध किया और संतों में लोगों की आस्था को ठेस पहुंचायी.
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अदालत के विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने 453 पन्नों के अपने फैसले में इस बात को लेकर दुख जताया कि आसाराम ने अपने घृणित कृत्य से ''ना केवल अपने अनुयायियों की आस्था को ठेस पहुंचायी, बल्कि आम लोगों में संतों की प्रतिष्ठा भी धूमिल की.''
न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने पीड़िता के पिता एवं उसके परिवार की आसाराम में आस्था की तरफ इशारा करते हुए कहा, ''उनके ( पीड़िता के पिता ) मन में आसाराम के लिए इतना सम्मान था कि उन्होंने अपने बेटे और बेटी, दोनों को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के गुरूकुल पढ़ने के लिए भेज दिया था. लेकिन उस ने बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्त कराने के बहाने पीड़िता को अपने आश्रम बुलाकर उससे बलात्कार किया.''
पांच साल की नजरबंदी खत्म हुई: पीड़िता
रेप केस में कथावाचक आसाराम को उम्रकैद की सजा पर पीड़िता ने कहा है कि उसकी पांच साल की नजरबंदी खत्म हुई. पीड़ित ने कहा कि पांच साल से उसके लिए हर दिन बुरे सपने की तरह रहा. पीड़ित के पिता ने कहा कि अब इंसाफ मिला है. जिन गवाहों की हत्या की गई थी उनकी आत्मा को आसाराम की सजा से शांति मिलेगी. पीड़िता यूपी की रहने वाली है.
आसाराम की नई पहचान कैदी नंबर 130
आसाराम की नई पहचान अब कैदी नंबर 130 के तौर पर होगी. जानकारी के मुताबिक फैसले बाद आसाराम जेल में पहली रात बेचैनी में गुजारी. आसाराम को जेल में घर का बना खाना भी मिल जाता था अब जेल का खाना खाना पड़ेगा. अब तक अपने कपड़े पहन सकता था, अब जेल के कपड़े पहनने पड़ेंगे. अभी तक आसाराम को जेल के अंदर किसी तरह का काम भी नहीं करना पड़ता था लेकिन अब करना पड़ेगा.