नई दिल्ली: अपने फेयरवेल संबोधन में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने देश की न्याय-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे अमीरों की मुट्ठी में कानून चला गया है. अमीर जमानत पर रिहा होता है मगर गरीब सलाखों के पीछे होता है.
फेयरवेल संबोधन में न्याय-व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी
बुधवार को अपने फेयरवेल कार्यक्रम में जस्टिस गुप्ता ने कहा कि अमीर लोग जल्द सुनवाई के लिए ऊंची अदालत पहुंच जाते हैं मगर गरीबों को ऐसा अवसर नहीं मिल पाता. यहां तक कि अमीर मुकदमे को टलवाने के लिए भी उच्च अदालतों में चला जाता है. जस्टिस गुप्ता ने अदालतों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालतों को गरीबों की आवाज सुननी चाहिए. इसलिए कि लोगों का न्यायपालिका में बहुत भरोसा रहता है. वर्तमान परिदृश्य के संदर्भ में उन्होंने बताया कि संकट के समय हमारे और आपके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता मगर जो गरीब हैं उनके साथ हमेशा ऐसा होता आया है. उनकी आवाज नहीं सुनी जाती. अदालतों में अगर उनकी कोई पैरवी करने आता है तो उन्हें भी जरूर सुना जाना चाहिए.
कोर्ट को गरीबों के प्रति संवेदनशील होने की सलाह
आपको बता दें कि जस्टिस दीपक गुप्ता को फेयरवेल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दिया गया. देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी जज की विदाई वर्चुअल हुई हो. इस मौके पर जस्टिस गुप्ता ने अपनी जिंदगी को प्रभावित करनेवाली शख्सियतों, अनुभवों और यादगार लम्हों को साझा किया. उन्होंने कहा कि लीगल सिस्टम का हिस्सा रहते उन्होंने तीन साल सुप्रीम कोर्ट में बिताए हैं. जिससे उन्हें संतुष्टि और सुखद अनुभव का एहसास है. उन्होंने न्यायपालिका को ईमानदार, निष्पक्ष और निर्भीक होने के साथ मानवी और दयालु बनने की भी सलाह दी.
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