नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज स्थानीय निकायों, ट्रैफिक पुलिस और अन्य स्थानीय निकाय एजेंसियों को राष्ट्रीय राजधानी की हर सड़क पर जाकर स्पीड ब्रेकरों की कुल संख्या गिनने को कहा. हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था तब दी जब दिल्ली यातायात पुलिस ने सूचित किया कि राजधानी में सड़कों पर केवल 93 अधिकृत स्पीड ब्रेकर हैं जो लोक निर्माण विभाग ने बनवाए हैं.


जस्टिस एस रवीन्द्र भट और जस्टिस योगेश खन्ना ने एजेंसियों को दिल्ली की सड़कों पर बने गड्ढों, मेनहोलों और ऐसे दूसरे अवरोधकों की पहचान करने और अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा. कोर्ट ने कहा कि टैफ्रिक पुलिस ने मुख्य सड़कों पर 93 स्पीड ब्रेकरों की पहचान की है लेकिन वह कॉलोनियों जैसे अंदरूनी इलाकों में सड़कों की वास्तविक स्थिति नहीं बता सकी.


बेंच ने आदेश दिया कि तीनों नगर निगमों के चीफ इंजीनियरों और पुलिस के विशेष आयुक्त को समन्वय के साथ काम करते हुए स्पीड ब्रेकरों की वास्तविक स्थिति का पता लगाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यही आदेश नई दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली छावनी, लोक निर्माण विभाग, दिल्ली राज्य औद्योगिकी एवं अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीएस) को भी दिए.


कोर्ट ने कहा कि इलाके में संबंधित स्थानीय अधिकारियों और पुलिस कर्मियों को अलग रखा जाना चाहिए और उन्हें संयुक्त रूप से सड़क का दौरा कर वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट देनी चाहिए. साथ ही कोर्ट ने कहा कि स्पीड ब्रेकरों का माप भी बताया जाना चाहिए, इसके साथ ही अधिकृत और अनधिकृत स्पीड ब्रेकरों में अंतर भी बताया जाना चाहिए.


मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को तय करते हुए कोर्ट ने एजेंसियों को इस तारीख तक डेवलपमेंट रिपोर्ट दाखिल करने को कहा. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की ओर से पेश वकील नौशाद अहमद खान ने कोर्ट को बताया कि 93 स्पीड ब्रेकरों पर समुचित इंडिकेटर्स लगाए गए हैं. ये स्पीड ब्रेकर भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) और एकीकृत यातायात तथा परिवहन अवसंरचना (यूटीटीआईपीईसी) के मानकों के अनुरूप प्रमुख सड़कों पर बनाए गए हैं.


दिल्ली हाईकोर्ट आईआरसी एवं यूटीटीआईपीईसी के दिशानिर्देशों का पालन न करते हुए, शहर की सड़कों पर स्पीड ब्रेकरों के अनधिकृत निर्माण के खिलाफ दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था.