Calcutta High Court Instruction : कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण व गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं के मामले में अहम टिप्पणी की. हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच कर रहे ईडी और सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ उसकी अनुमति के बिना कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है.


मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी कुंतल घोष ने हाल में आरोप लगाया था कि जांचकर्ता उस पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी का नाम लेने का दबाव बना रहे हैं. इसका परोक्ष उल्लेख तृणमूल कांग्रेस के नेता ने एक सार्वजनिक भाषण में किया था, जिसका हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है.


न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने दिए निर्देश 


जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय (Justice Abhijit Gangopadhyay) ने कहा कि घोष की ओर से निचली अदालत को भेजे गए पत्र उन्हें प्रभावित करने का आरोपी का एक प्रयास है. उन्होंने कहा कि घोष ने उक्त पत्र में लिखा है कि जांचकर्ता उस पर टीएमसी नेता का नाम लेने का दबाव बना रहें हैं. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास भट्टाचार्य ने अदालत से अपील की कि पत्र के फोरेंसिक जांच के आदेश दिए जाने चाहिए.


वकील सम्राट गोस्वामी और कुणाल घोष ने क्या कहा?


ईडी की ओर से पेश वकील सम्राट गोस्वामी ने कहा कि 21 जनवरी को गिरफ्तार किए गए घोष निचली अदालत के आदेश पर 14 दिन की हिरासत में हैं. बताते चलें कि ईडी की हिरासत खत्म होने के बाद वह न्यायिक हिरासत में हैं. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने पत्र के संबंध में ईडी और सीबीआई को 20 अप्रैल तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. शाम को संवाददाता सम्मेलन में टीएमसी के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि न्यायपालिका का एक वर्ग कानून के मुताबिक व्यवहार नहीं कर रहा है.


उन्होंने कहा कि “न्यायपालिका के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है. एक पार्टी के तौर पर टीएमसी भी न्यायपालिका का काफी सम्मान करती है. लेकिन दुर्भाग्य से कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायपालिका का एक वर्ग कानून के अनुसार व्यवहार नहीं कर रहा है.


घोष के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि टीएमसी का गुस्सा स्वाभाविक है क्योंकि भेद खुल गया है. उन्होंने आगे कहा कि टीएमसी के कई नेताओं को भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तार किया जा रहा है और जो भी टीएमसी के भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलता है, वह गलत हो जाता है चाहे वह राज्यपाल हों या न्यायपालिका. यह साबित करता है कि उनके मन में न्यायपालिका के लिए कोई सम्मान नहीं है.


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