(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'गरीब लोग आर्थिक तंगी के कारण अदालत तक नहीं पहुंच पाते है न्यायिक प्रणाली सभी के लिए समान है'- जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय
दार्जिलिंग के सिलीगुड़ी में एक निजी लॉ कॉलेज के समारोह में जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा- कई गरीब लोग हैं जो आर्थिक तंगी के कारण अदालत तक नहीं पहुंच पाते है लेकिन न्यायिक प्रणाली सभी के लिए समान है.
Justice Abhijit Gangopadhyay: पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले पर अपने फैसलों और टिप्पणियों के लिए राष्ट्रीय सुर्खियों में रहने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने शनिवार को कहा है कि वह गरीब लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए अलग तरीके से काम करते हैं.
दार्जिलिंग के सिलीगुड़ी में एक निजी लॉ कॉलेज के समारोह में कहा, "मेरे काम करने का तरीका कुछ अलग है. मेरा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्याय प्रणाली और न्याय का लाभ समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों तक पहुंचे. न्याय उनका अधिकार है और मैं उसी उद्देश्य के साथ काम करता हूं. कई गरीब लोग हैं जो आर्थिक तंगी के कारण अदालत तक नहीं पहुंच पाते है लेकिन न्यायिक प्रणाली सभी के लिए समान है."
जस्टिस गंगोपाध्याय ने टीएमसी को दी थी चेतावनी
जस्टिस गंगोपाध्याय तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने कोर्ट में चुनाव आयोग को टीएमसी की मान्यता रद्द करने और उनका लोगो रद्द करने का आदेश देने की चेतावनी दी थी. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की टिप्पणियों की तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कड़ी आलोचना की है.
टीएमसी नेता ने कहा कि जस्टिस गंगोपाध्याय सेवानिवृत्ति के बाद अपनी राजनीतिक चालों को सुचारू बनाने के लिए काल्पनिक छवि पेश करने की कोशिश कर रहे है. शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े अलग-अलग मामलों को हैंडल करते हुए जस्टिस गंगोपाध्याय बार-बार अपरंपरागत रास्ते पर चल रहे थे. यहां तक कि शिक्षकों की भर्ती घोटाले की जांच कर रही सीबीआई के अधिकारियों को भी जांच की धीमी गति के लिए कई बार उनके गुस्से का सामना करना पड़ा था.
2014 में हुआ था शिक्षक भर्ती घोटाला
शिक्षक भर्ती घोटाला 2014 का है. तब पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) ने पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली थी. यह भर्ती प्रक्रिया 2016व में शुरू हुई थी. उस वक्त बंगाल में पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे. शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी की कई शिकायतें कोलकाता हाईकोर्ट में दाखिल हुई थी.
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