नई दिल्लीः मुंबई के सीरियल बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी के खिलाफ आधी रात में सुनवाई करने तथा निर्भया बलात्कार कांड के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने वाले जस्टिस दीपक मिश्रा ने आज देश के 45 वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ग्रहण कर लिया है. आज राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद उन्हें शपथ दिलाई है.
इस शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू सहित कई बड़े नेता मौजूद थे.
बता दें कि वर्तमान चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर रविवार को रिटायर हो गये. हालांकि शनिवार और रविवार को सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी रहने के कारण कोर्ट रुम में उनका शुक्रवार को ही अंतिम दिन रहा. आठ अगस्त को कानून मंत्रालय की ओर से अधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करते हुए दीपक मिश्रा की नियुक्ति की घोषणा की गई थी.
जस्टिस मिश्रा भारत के चीफ जस्टिस बनने वाले ओडिशा की तीसरे जज होंगे. उनसे पहले ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस रंगनाथ मिश्रा और जस्टिस जीबी पटनायक भी इस पद को सुशोभित कर चुके है.
जस्टिस मिश्रा याकूब मेमन पर दिए गए फैसले के कारण काफी सुर्खियों में रहे थे. उन्होंने रात भर सुनवाई करते हुए याकूब की फांसी पर रोक लगाने संबंधी याचिका निरस्त कर दी थी. वह पटना और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं.
कौन हैं जस्टिस दीपक मिश्रा
3 अक्टूबर 1953 को जन्मे जस्टिस मिश्रा को 17 फरवरी 1996 को उड़ीसा हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज बनाया गया था. 3 मार्च 1997 को उनका तबादला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कर दिया गया. उसी साल 19 दिसंबर को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गयी. चार दिन बाद 23 दिसंबर 2009 को उन्हें पटना हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया और 24 मई 2010 को दिल्ली हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. वहां रहते हुए उन्होंने पांच हजार से ज्यादा मामलों में फैसले सुनाये और लोक अदालतों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के प्रयास किये. उन्हें 10 अक्टूबर 2011 को पदोन्नत करके सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. जस्टिस मिश्रा ने ही देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के आदेश जारी किए थे.