'एक इंसान के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा उसका घर है और आपने...', रिटायरमेंट से पहले किस केस में फैसला सुनाते हुए इमोश्नल हो गए थे जस्टिस चंद्रचूड़?
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इस तरह की एकतरफा कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ रविवार (10 नवंबर, 2024) को मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हो गए. रिटायरमेंट से पहले 6 नवंबर को उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई की और फाइल जजमेंट दिया था. उन्होंने कहा कि बुलडोजर जस्टिस को स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने यह भी कहा कि एक इंसान के लिए उसका घर सबसे बड़ी सुरक्षा होता है. सरकार को कानून के दायरे में रहकर अवैध अतिक्रमण या गैरकानूनी तरीके से बनाए गए ढांचों पर कार्रवाई करनी चाहिए.
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच एक पत्रकार की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में आरोप लगाया गया कि साल 2019 में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने बगैर किसी नोटिस के उनका पुश्तैनी घर गिरा दिया. उनका कहना है कि घर इसलिए गिराया गया क्योंकि उन्होंने एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें सड़क बनाने के दौरान अधिकारियों द्वारा उठाए गए गलत तरीकों पर सवाल उठाए गए थे. वहीं, अधिकारियों का आरोप है कि जिस जगह घर बना है वह एरिया नेशनल हाइवे के लिए अधिसूचित है.
दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार की इस तरह की एक तरफा कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून सार्वजनिक संपत्ति पर गैरकानूनी कब्जे या अतिक्रमण की इजाजत नहीं देता है, लेकिन एक इंसान के लिए उसका घर सबसे बड़ी सुरक्षा होता है.
कोर्ट ने आगे कहा कि नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्ति नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता और कानून के शासन में बुलडोजर न्याय पूरी तरह अस्वीकार्य है. बेंच ने कहा कि बुलडोजर के जरिए न्याय करना किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता. कोर्ट ने कहा, 'कानून के शासन में बुलडोजर न्याय बिल्कुल अस्वीकार्य है. अगर इसकी अनुमति दी गई तो अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता समाप्त हो जाएगी.'
संविधान के अनुच्छेद 300A में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को कानून के प्राधिकार के बिना उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एक मकान को ध्वस्त करने से संबंधित मामले में 6 नवंबर को अपना फैसला सुनाया.
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