PM Modi Security Breach: जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता में SC ने बनाई कमेटी, कहा- एकतरफा नहीं हो सकती ऐसे मामले की जांच
Supreme Court on PM Modi Security Breach: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता में कमेटी बना दी है. CJI एनवी रमना ने कहा कि हमारा मानना है कि ऐसे मामले की एकतरफा जांच नहीं हो सकती.
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Supreme Court on PM Modi Security Breach: पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है. कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा करेंगी. इस कमेटी में केंद्र और राज्य सरकार के भी अधिकारियों को रखा गया है. यह कमेटी सुरक्षा में हुई चूक के सभी पहलुओं की पड़ताल करने के अलावा भविष्य में ऐसी घटनाओं के दोहराव से बचने के उपाय भी सुझाएगी.
लॉयर्स वॉइस नाम की संस्था ने दायर की थी याचिका
5 जनवरी को पंजाब में सड़क मार्ग से बठिंडा से फिरोजपुर जा रहे प्रधानमंत्री के काफिले को 20 मिनट तक एक फ्लाईओवर पर रुकना पड़ा था. इसकी वजह यह थी कि फ्लाईओवर के आगे अचानक बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पहुंच गए थे. इसे सुरक्षा में गंभीर चूक की तरह देखा गया क्योंकि राज्य के डीजीपी की सहमति के बाद ही प्रधानमंत्री का रास्ता निर्धारित किया जाता है. मामले को लेकर लॉयर्स वॉइस नाम की संस्था सुप्रीम कोर्ट पहुंची और निष्पक्ष जांच की मांग की.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी मिली कि केंद्र और पंजाब सरकार, दोनों ने अपनी अपनी तरफ से मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है. दोनों ही सरकारों ने एक दूसरे की कमेटी के कुछ सदस्यों पर की निष्पक्षता पर संदेह जताया. आज दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की बेंच ने कहा है कि इस तरह के गंभीर मामले की एकतरफा जांच नहीं हो सकती. इसलिए, संतुलित जांच के लिए जरूरी है कि इसे किसी पूर्व जज की निगरानी में करवाया जाए.
कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी के सदस्य
- जस्टिस इंदु मल्होत्रा (अध्यक्ष)
- NIA के DG या उनकी तरफ से नामित अधिकारी जो IG रैंक से नीचे न हो
- चंडीगढ़ के DGP
- पंजाब के ADGP (सिक्युरिटी)
- पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल
तीनों जजों की ओर चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ा. उन्होंने कहा, "यह कमेटी देखेगी कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में किस तरह की चूक हुई? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है?" कोर्ट ने कमेटी का कोई कार्यकाल तय नहीं किया है. सिर्फ यही कहा है कि कमेटी जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देने की कोशिश करे.
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