नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्नन आज सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए. सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने उन्हें 3 हफ्ते का वक़्त देते हुए सुनवाई 10 मार्च तक टाल दी है. कोर्ट ने कहा, "अगर अगली तारीख को भी कर्नन अपना पक्ष नहीं रखते तो सुनवाई नहीं टाली जाएगी."
8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था नोटिस
जस्टिस कर्नन पर अदालत की अवमानना का आरोप है. 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नोटिस जारी किया था. उनसे आज व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया था. न्यायपालिका के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी हाई कोर्ट जज पर इस तरह की कार्रवाई शुरू हुई हो.
लगातार विवाद में रहने वाले जस्टिस कर्नन को ये नोटिस पीएम को लिखी चिट्ठी की वजह से जारी किया गया है. इस चिट्ठी में उन्होंने 20 जजों को नाम लेकर भ्रष्ट बताया है. इससे पहले भी वो खुद मद्रास हाई कोर्ट से अपने ट्रांसफर के आदेश पर रोक लगाने, हाई कोर्ट चीफ जस्टिस पर अवमानना का मुकदमा चलाने की धमकी देने जैसी कई विवादित बातों के लिए चर्चा में रह चुके हैं.
चिट्ठी भेज कर अपने खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई को बताया गैरकानूनी
जस्टिस कर्नन ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को चिट्ठी भेज कर अपने खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई को गैरकानूनी बताया है. उन्होंने कहा है कि दलित वर्ग से होने के चलते उन्हें परेशान किया जा रहा है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर पर भी अपने खिलाफ पूर्वाग्रह का आरोप लगाया है और मांग की है कि मसले को संसद के पास भेज दिया जाए.
आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जस्टिस कर्नन की नयी चिट्ठी को भी पढ़ कर सुनाया. उन्होंने कहा, "जस्टिस कर्नन लगातार न्यायपालिका के लिए असम्मानजनक हालात बना रहे हैं. वो आज नोटिस के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं हुए हैं. इसलिए, उनके खिलाफ अवमानना का आरोप तय करने की कार्रवाई शुरू की जाए."
पेश होने के लिए नहीं दिया गया पर्याप्त समय
हालांकि, 7 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ने नर्म रवैया अपनाया. उन्होंने कहा, "जस्टिस कर्नन ने लिखा है कि उन्हें पेश होने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. उन्हें 3 हफ्ते का वक्त देना सही रहेगा."
खचाखच भरी कोर्ट में जस्टिस कर्नन का पक्ष रखने की कोशिश कर रहे 2 वकीलों को बेंच ने कड़ी फटकार लगाई. बेंच ने कहा, "ये ऐसा मसला नहीं है, जिसमें कोई भी बोलने को खड़ा हो जाए. हम भविष्य में जस्टिस कर्नन की तरफ से सिर्फ उसी वकील को बोलने देंगे जिन्हें वो आधिकारिक रूप से अपनी पैरवी का ज़िम्मा देंगे."
सभी पहलुओं को परखने के बाद ही की जाए कोई कार्रवाई
कोर्ट ने एक बार फिर एटॉर्नी जनरल समेत वरिष्ठ वकीलों से ये सवाल किया कि अगली सुनवाई में भी अगर कर्नन पेश नहीं होते तो किस तरह की कार्रवाई की जाए. चीफ जस्टिस ने कहा कि आम तौर पर हम पेश न होने वाले के खिलाफ वारंट जारी करते हैं. इस मामले में हम चाहते है कि सभी पहलुओं को परखने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाए.