नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा के बाद सख्त टिप्पणी कर चर्चाओं में आए जस्टिस डॉ. एस मुरलीधर ने मिसाल पेश की है. उन्होंने वकीलों से अपील की है कि वो उन्हें माई लॉर्ड या फिर योर लॉर्डशिप कहकर ना बुलाएं. उन्होंने अपने कोर्ट में लगने वाले मुकदमों की लिस्ट से पहले बार एसोसिएशन के सदस्यों को बाकायदा लिखित में आग्रह किया है.


दरअसल कुछ साल पहले चंडीगढ़ में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने सदस्यों को 'सर' या 'योर ऑनर' के रूप में न्यायाधीशों को संबोधित करने को प्राथमिकता देने के लिए कहा था, हालांकि कई वकील उन्हें संबोधित करने के लिए 'योर लॉर्डशिप' जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं.


बता दें कि हाल ही में जस्टिस मुरलीधर का तबादला दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में किया गया है. जज मुरलीधर दिल्ली हिंसा के बाद तल्ख टिप्पणी करने के बाद ट्रांसफर कर दिए जाने पर चर्चाओं में आए थे. विपक्ष ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि जज ने बीजेपी के नेताओं पर कार्रवाई ना करने को लेकर दिल्ली सरकार पर नाराजगी जताई इसलिए उनका ट्रांसफर कर दिया गया.


जस्टिस मुरलीधर का तबादला 26 फरवरी को किया गया और 6 मार्च को उन्होंने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली. उनके विदाई समारोह में बड़ी संख्या में वकीलों ने शिरकत की थी. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया था कि उनके तबादले के फैसले से कोई आपत्ति नहीं है.


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