जस्टिस एन वी रमना होंगे देश के नए मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
2000 में वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज बने. 2014 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी नियुक्ति से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक होगा. इस तरह वह 16 महीने तक इस अहम पद पर रहेंगे.
नई दिल्ली: जस्टिस नथालापति वेंकट रमना भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके नाम को स्वीकृति दे दी है. वर्तमान चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने 24 मार्च को उनके नाम की सिफारिश केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेजी थी. इस समय जस्टिस रमना चीफ जस्टिस के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज हैं. वह 24 अप्रैल को पद की शपथ लेंगे.
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में जन्मे जस्टिस रमना अपने शांत और मृदुभाषी स्वभाव के लिए पहचाने जाते हैं. 1983 में वकालत शुरू करने वाले रमना आंध्र प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल रहने के अलावा केंद्र सरकार के भी कई विभागों के वकील रह चुके हैं.
2000 में वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज बने. 2014 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी नियुक्ति से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक होगा. इस तरह वह 16 महीने तक इस अहम पद पर रहेंगे.
पिछले कुछ सालों में जस्टिस रमना का सबसे चर्चित फैसला जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का रहा है. सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेज़ सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच की अध्यक्षता भी उन्होंने ही की थी.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमना सदस्य रह चुके हैं. उनकी अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने निर्भया गैंग रेप और हत्या मामले के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज की थी. इसके बाद उनकी फांसी का रास्ता साफ हुआ था.
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