नई दिल्ली: जस्टिस रंजन गोगोई भारत के अगले चीफ जस्टिस होंगे. राष्ट्रपति ने उनके नाम को मंजूरी दे दी है. गोगोई 3 अक्टूबर को पद की शपथ लेंगे. वो भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनका कार्यकाल लगभग 13 महीने का होगा.


जस्टिस रंजन गोगोई इस समय सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज हैं. मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का कार्यकाल 2 अक्टूबर को खत्म हो रहा है. जस्टिस दीपक मिश्रा ने इसी महीने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस गोगोई के नाम की सिफारिश की थी. इसे अब राष्ट्रपति ने मान लिया है.


18 नवंबर 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई के पिता केशब चन्द्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत शुरु की थी. 2001 में वह गुवाहाटी हाईकोर्ट की स्थाई जज बने. 2011 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए. उनकी छवि एक बेहद सख्त और ईमानदार जज की है.


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जस्टिस गोगोई की सख्त छवि उस वक्त और उभरकर सामने आई, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू को अवमानना के एक मामले में कोर्ट में तलब कर लिया. जस्टिस काटजू ने केरल के सौम्या बलात्कार कांड में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बेहद तल्ख लहज़े में आलोचना की थी. इस मामले में दोषी गोविंदसामी को कोर्ट ने सिर्फ रेप का दोषी माना था. हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया था. फैसले के बाद काटजू ने इसे देने वाले जजों की समझ पर सवाल उठाए थे.


जस्टिस गोगोई ने इसे अदालत की अवमानना की तरह लिया और काटजू को कोर्ट में पेश होने के लिए नोटिस जारी कर दिया. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट का कोई पूर्व जज कोर्ट में इस तरह से पेश हुआ हो. हालांकि, बाद में वकीलों की दरख्वास्त पर जस्टिस गोगोई ने काटजू को चेतावनी देकर जाने दिया.


इस साल 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जजों ने सुप्रीम कोर्ट में काम के आवंटन पर सवाल उठाए थे. ऐसे में कुछ लोगों का मानना था कि शायद मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा गोगोई के नाम की सिफारिश न करें. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.