Justice Nazeer: रिटायर हुए अयोध्या मामले का फैसला देने वाली बेंच के सदस्य जस्टिस अब्दुल नजीर, विदाई भाषण में सुनाया संस्कृत का ये श्लोक
Justice S Abdul Nazeer Retired: उनके विदाई समारोह में वकीलों ने उन्हें हमेशा मुस्कुराते हुए मामलों को सुनने वाले एक अल्पभाषी (कम बोलने वाले) जज के रूप में याद किया.
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Justice S Abdul Nazeer: जस्टिस एस अब्दुल नजीर सुप्रीम कोर्ट में अपने लगभग 6 साल के कार्यकाल के बाद बुधवार (4 जनवरी) को रिटायर हो गए है. अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस नजीर तीन तलाक, अयोध्या, नोटबंदी जैसे कई मामलों का फैसला देने वाली बेंच के सदस्य रहे हैं.
उनके विदाई समारोह में वकीलों ने उन्हें हमेशा मुस्कुराते हुए मामलों को सुनने वाले एक अल्पभाषी (कम बोलने वाले) जज के रूप में याद किया. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने उनकी सराहना करते हुए कहा, "अयोध्या मामले में जिस तरह जस्टिस नजीर बहुमत के फैसले के साथ सहमत नजर आए, वह यह दिखाता है कि उनके लिए राष्ट्र प्रथम है."
तीन तलाक पर दिया था फैसला
फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति नियुक्त हुए जस्टिस नजीर इससे पहले 14 साल तक कर्नाटक हाई कोर्ट में थे. सुप्रीम कोर्ट में पदभार संभालने के कुछ ही समय बाद वह तलाक ए बिद्दत यानी एक साथ तीन तलाक बोलकर शादी खत्म करने की व्यवस्था के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की सुनवाई करने वाले वाली संविधान पीठ के सदस्य बने. 22 अगस्त 2017 को इस पीठ ने एक साथ तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया. पांच न्यायमूर्तियों की बेंच की तरफ से एक जैसे निष्कर्ष वाले तीन अलग-अलग फैसले पढ़े गए थे. इनमें से जस्टिस नजीर तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की तरफ से दिए गए फैसले के साथ रहे. उस फैसले में यह कहा गया था कि सरकार को 6 महीने के भीतर तीन तलाक को अवैध घोषित करने का कानून बनाना चाहिए.
अयोध्या मामले में थी बड़ी भूमिका
जस्टिस नजीर अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली 5 न्यायमूर्तियों की बेंच के भी सदस्य रहे. 9 नवंबर 2019 को उस बेंच ने विवादित भूमि पर हिंदू पक्ष के दावे को मान्यता दी. साथ ही, सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए विवादित स्थल से दूर अलग से जमीन देने का भी आदेश दिया था. जस्टिस नजीर की अध्यक्षता वाली बेंच ने हाल ही में 4:1 के बहुमत से 2016 में की गई नोटबंदी को सही करार दिया था.
जस्टिस नजीर का विदाई भाषण
अपने विदाई भाषण में जस्टिस नजीर ने कहा कि वरिष्ठ वकीलों को उनके साथ काम कर रहे जूनियर वकीलों के लिए शिक्षक जैसी भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि न्यायपालिका में अभी भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में सुप्रीम कोर्ट में और ज्यादा महिला जस्टिस काम करेंगी.
भाषण का अंत संस्कृत श्लोक के साथ
अपने काम के प्रति हमेशा समर्पित रहे जस्टिस नजीर ने भाषण का अंत एक संस्कृत श्लोक से किया- "धर्मे सर्वम प्रतिष्ठितम् तस्माद् धर्मम परमम वदन्ति." यानी इस दुनिया का आधार धर्म है. इसलिए धर्म सबसे बड़ा है. ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट का आदर्श वाक्य भी महाभारत में लिखे शब्द- "यतो धर्मस्ततो जयः" है, जिसका अर्थ है- जहां धर्म, वहीं विजय है. यानी एक तरह से जस्टिस नजीर जाते-जाते सुप्रीम कोर्ट के आदर्श वाक्य को ही दोहरा गए.
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