Justice S Abdul Nazeer: कभी समुद्र किनारे मछलियां पकड़ते थे, सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बने और अब राज्यपाल, पढ़ें एस अब्दुल नजीर का प्रोफाइल
Abdul Nazeer: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने काफी कठिनाइयों का सामना किया है. उनके पिता का निधन नजीर के बचपन में ही हो गया था.
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Abdul Nazeer Profile: केंद्र सरकार ने बड़ा फेरबदल करते हुए महाराष्ट्र समेत 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में राज्यपालों को बदल दिया है. इसी के तहत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के रिटायर्ड जस्टिस एस अब्दुल नजीर (S Abdul Nazir) को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. नजीर की नियुक्ति पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) काफी भावुक नजर आए. उन्होंने बताया कि नजीर का बचपन काफी मुश्किलों में गुजरा है. उन्होंने समुद्र किनारे मछलियां पकड़ने का काम भी किया है.
अब्दुल नजीर ने कर्नाटक के बेलुवई और बाद में मंगलुरु में कठिन परिस्थितियों का सामना किया है. डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि बचपन में नजीर को परिवार का गुजारा करने के लिए अपने चाचा के खतों में काम करना पड़ता था. उनकी परिवार में वह कई भाई-बहन थे. उनका परिवार बेहद गरीबी में रहता था क्योंकि उनके पिता का निधन काफी जल्दी हो गया था.
नजीर ने जब भी अपने बारे में कुछ कहा या लिखा है तो उन्होंने अक्सर परिवार के लिए अपनी मां के त्याग की बात कही है. वह अपने परिवार के पहले वकील थे लेकिन इसकी पढ़ाई में उन्होंने काफी मेहनत की है. वाणिज्य में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और मंगलुरु में एसडीएम लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की. अंग्रेजी में भी उनका हाथ तंग था. इसलिए वह बेंगलुरु चले गए ताकी वहां अंग्रेजी सीख सकें.
बत्तख से की अपनी तुलना
नजीर ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी विदाई के दौरान कहा कि उनका सफर एक बत्तख की तरह था जो पानी पर आसानी से तैरता हुआ दिखाई देता है, लेकिन वास्तव में खुद को बचाए रखने के लिए पानी के नीचे गुस्से से तैर रहा है. नजीर को 45 साल की कम उम्र में कर्नाटक हाई कोर्ट की खंडपीठ में पदोन्नत किया गया था. उनके कार्यकाल ने उन्हें एक के बाद एक सुप्रीम कोर्ट के लगभग हर महत्वपूर्ण फैसले में शामिल होने के अवसर दिया.
ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे थे नजीर
जस्टिस नजीर कई ऐतिहासिक संविधान पीठ के फैसलों का हिस्सा थे. इसमें ट्रिपल तलाक, निजता का अधिकार, अयोध्या मामला और हाल ही में नोटबंदी पर केंद्र के 2016 के फैसले और सांसदों की अभिव्यक्ति की आजादी शामिल है. चंद्रचूड़ ने कहा कि जस्टिस नजीर वह नहीं थे जो सही और गलत के बीच तटस्थ रहते थे, लेकिन वह सही के लिए खड़े रहे. यह सभी ने अयोध्या मामले में देखा था.
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