नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा मामले पर सुनवाई करने वाले हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर को आज दिल्ली हाईकोर्ट से विदाई दी गई. इसके लिए हाइकोर्ट की पद्दति के हिसाब से खास कार्यक्रम आयोजित किया गया था. लेकिन जस्टिस मुरलीधर की विदाई के दौरान कोर्ट में जितनी बड़ी संख्या में वकील जुटे इससे पहले बाकी जजों की विदाई के वक्त ऐसा कम ही देखने को मिला है.


जस्टिस मुरलीधर को विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में जुटे वकील


जस्टिस मुरलीधर की विदाई के लिए जब फुल कोर्ट रेफरेंस आयोजित किया गया तो उसमें हाई कोर्ट के सभी जस्टिस तो मौजूद थे ही लेकिन उसके साथ ही बड़ी संख्या में वकील भी वहां पर मौजूद थे. तस्वीर ऐसी थी कि वकीलों को अगर वहां बैठने की जगह नहीं मिली तो फर्स्ट फ्लोर से लेकर सेकेंड फ्लोर तक वकील खड़े देखे गए. यहां तक कि कोर्ट की बिल्डिंग के रैंप पर भी वकील लाइन लगाकर खड़े थे और जस्टिस मुरलीधर को विदाई दे रहे थे.


आज जस्टिस मुरलीधर का दिल्ली हाईकोर्ट में था आखिरी दिन


जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में किया गया है और जस्टिस मुरलीधर कल यानी 6 मार्च दिन शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट में शपथ लेंगे.


मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम अहम जज को दे रहे हैं विदाई


जस्टिस मुरलीधर की विदाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीएन पटेल ने कहा, "आज हम एक अहम जज को विदाई दे रहे हैं. जो कानून के किसी भी विषय पर चर्चा और किसी भी मामले की व्याख्या कर सकता है."


जस्टिस मुरलीधर ने दिया सच के साथ रहने का संदेश


इस दौरान जस्टिस मुरलीधर ने भी वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "जब न्याय की विजय होगी तो जीत होगी..... सच्चाई के साथ रहें.. न्याय होगा." इसके साथ ही अपने तबादले की खबरों पर जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि "कॉलेजियम की सिफारिश पर मुख्य न्यायाधीश की तरफ से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट जाने की सूचना दी गई थी और मुझे वहां जाने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है."


जिस दिन की दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई उसी रात सामने आया तबादले का नोटिफिकेशन


गौरतलब है जस्टिस मुरलीधर का तबादला उस दौरान अचानक सुर्खियों में आ गया जब वह दिल्ली हिंसा मामले पर सुनवाई कर रहे थे. उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को संदेश देते हुए कहा था कि वह चाहते हैं कि भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए फिर चाहे वह नेता किसी भी पार्टी का क्यों ना हो.


जिस दिन जस्टिस मुरलीधर ने इस मामले की सुनवाई की उसी दिन रात में केंद्र सरकार की तरफ से उनके तबादले का नोटिफिकेशन सामने आया था. जस्टिस मुरलीधर के तबादले के नोटिफिकेशन की टाइमिंग को लेकर विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार पर सवाल उठाए थे. जबकि सरकार का कहना था कि यह ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के फैसले के आधार पर किया गया है. इसमें सरकार का कुछ लेना देना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम का यह फैसला भी करीबन 2 हफ्ते पहले लिया जा चुका था.