Allahabad High Court: जिस जज को लेकर खुलकर सामने आए डीवाई चंद्रचूड़, अब उसको लगा बड़ा झटका, जानें कौन है वो
Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग नोटिस को लेकर विवाद जारी है और अब इस मामले में दाखिल पीआईएल को कोर्ट ने खारिज कर दिया.
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Shekhar Yadav Controversy: पिछले दिसंबर में 55 विपक्षी सांसदों ने जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग नोटिस दिया. यह नोटिस उनके 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में दिए गए बयान की वजह से दिया गया था. सांसदों का आरोप था कि जस्टिस यादव के बयान ने उनकी भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई थी.
इस याचिका में तर्क दिया गया कि जस्टिस यादव ने एक हिंदू के रूप में अपने विचार व्यक्त किए थे, जो हिंदुओं के दैनिक जीवन से जुड़े विषय थे. हालांकि हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया. जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये मामला जनहित याचिका के दायरे में नहीं आता. उन्होंने कहा “जनहित याचिका तभी स्वीकार्य हो सकती है जब इसकी वजह समाज के कमजोर वर्गों से जुड़ा हो.”
न्यायाधीशों के अधिकार पर उठे सवाल
याचिका में ये सवाल भी उठाया गया कि क्या न्यायाधीशों को बोलने और अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार हासिल है. हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि याचिका को स्वीकार करने के लिए पर्याप्त कानूनी आधार मौजूद नहीं हैं. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में संतुलन और न्याय की जरूरत होती है.
क्या है जजों को हटाने की प्रक्रिया?
संविधान के तहत जजों को हटाने की प्रक्रिया जटिल है. महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए लोकसभा में 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है. इसके बाद स्पीकर या सभापति तीन सदस्यीय जांच समिति बनाते हैं जो आरोपों की जांच करती है. समिति की रिपोर्ट के आधार पर संसद में वोटिंग होती है. अगर दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होता है तो ये राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है जहां उनके आदेश पर जज को हटाया जा सकता है.
डीवाई चंद्रचूड़ ने किया था जस्टिस यादव की नियुक्ति का कड़ा विरोध
हाल ही में पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने खुलासा किया था कि वे शेखर यादव के नियुक्ति को लेकर शुरू से ही विरोध में थे. इसके लिए उन्होंने तत्कालिन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम को पत्र लिखकर शेखर यादव की इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति का कड़ा विरोध किया था.
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