वैक्सीन मदद पर बात के साथ ट्रूडो ने पीएम मोदी से की किसान आंदोलन पर भी बात
इस बीच भारत में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के विरोध की टूलकिट और उसके कनाडा कनेक्शन का भी मुद्दा सामने आया है. इस मामले को लेकर चल रही जांच में सामने आया है कि किसानों के प्रदर्शनों के बहाने कनाडा में बैठे खालिस्तानी तत्व भी अपनी रोटियां सेंकने की तैयारी कर रहे हैं.
नई दिल्लीः कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ गत 10 फरवरी को हुए फोनकॉल में वैक्सीन मदद के मांग ही नहीं रखी बल्कि भारतीय किसान आंदोलन का मुद्दा भी उठाया. हालांकि भारत के किसानों में कनाडाई पीएम की दिलचस्पी पर पीएम मोदी ने उन्हें भारत की तरफ से बातचीत के जरिए मामले की सुलझाने की कोशिशों की जानकारी दी. बल्कि उन्हें कनाडा में भारतीय मिशन व राजनयिक स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित कराने के ज़िम्मेदारी का भी एहसास कराया.
ट्रूडो और मोदी के बीच फोन कॉल के बाद कनाडाई पक्ष की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं की बातचीत के दौरान हालिया प्रदर्शनों को बातचीत के जरिए सुलझाने और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति भारत और कनाडा ने संकल्पों पर भी चर्चा हुई.
इस संबंध पर भारत सरकार की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कोई जिक्र नहीं था. लेकिन इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने दोनों नेताओं की बातचीत में किसान आंदोलन से जुड़े मामले पर हुई चर्चा की तस्दीक की.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत सरकार की तरफ से बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की कोशिशों की सराहना की जो लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है. इतना ही नहीं उन्होंने स्वीकार किया कि कनाडा में मौजूद भारतीय राजनयिक मिशन व कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चत करने की जिम्मेदारी कनाडाई सरकार की है.
मत्वपूर्ण है कि बीते दिनों भारत में जारी किसान आंदोलन के लिए समर्थन जताने के नाम पर हुए प्रदर्शनों में भारतीय दूतावास कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ा था.
यह पहला मौका नहीं है जब कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो ने भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन पर टिप्पणी की हो. दिमसबर 2020 में भी ट्रुडो का बयान आया था जिसको लेकर भारत सरकार ने नई दिल्ली और ओटावा में कनाडा सरकार को अपने ऐतराज़ का इजहार कर दिया था. साथ ही भारत के 22 पूर्व राजनयिकों ने भी प्रधानमंत्री ट्रुडो के बयानों को अनुचित बताते हुए भारत-कनाडा रिश्तों के लिए नुकसानदेह बताया था.
बताया जाता है कि पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेट थनबर्ग ने बीते दिनों किसान आंदोलन की जो टूलकिट लॉन्च की थी उसे कनाडा में रहने वाले मो धालीवाल की कम्पनी ने ही तैयार किया था जो सोशल मीडिया पर अपने को खुलकर खालिस्तानी करार देता है.