आज महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती है. देश की सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना में ज्योतिबा फुले का महत्वपूर्ण योगदान है. जाति प्रथा और छुआछूत के खिलाफ फुले ने महान काम किया था. महिलाओं की शिक्षा पर जोर देने वालों में ज्योतिबा फुले का नाम प्रमुख है. महान समाजसेवी एवं लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर दिग्गजों ने नमन किया है. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'महान समाजसेवी, विचारक, दार्शनिक एवं लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. वे जीवनपर्यंत महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध रहे. समाज सुधार के प्रति उनकी निष्ठा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.


इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महात्मा ज्योतिबा फुले को नमन किया और ट्वीट के जरिए उन्हें याद किया. 



सीएम केजरीवाल ने भी किया नमन 
कर्नाटक के मंत्री सदानंद गौड़ा ने भी महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर नमन किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'समाज सुधारक और लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि. उन्होंने जाति-विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व किया, महिलाओं के लिए शिक्षा को बढ़ावा दिया और अपना पूरा जीवन समाज के हाशिए के वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया'. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी फुले की जयंती पर उन्हें नमन किया है. ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा,'महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले यांच्या जयंतीनिमित्त विनम्र अभिवादन'. 


कौन थे महात्मा ज्योतिबा फुले
ज्योतिबा फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में 11 अप्रैल 1827 को एक माली परिवार में हुआ था. उनका पूरा नाम ज्योतिबा राव गोविंद राव फुले था. उन्होंने जीवनभर छुआछूत को देश से खत्म करने के लिए अथक प्रयास किए. फुले ने बहिष्कृत समाज को समान अधिकार दिलाने के लिए 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की और जीवन पर्यंत संघर्ष किया. इसका उद्येश्य समाज में पिछड़े और उपेक्षित वर्ग को सामाजिक न्याय दिलाना था. सभी जाति के लोग सत्यशोधक समाज के सदस्य बने. फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले ने 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए पहले स्कूल की स्थापना की. इसके अलावा उन्होंने कई विद्यालय और अनाथालय खोले. ज्योतिबा ने कई किताबें भी लिखीं. धर्म तृतीय रत्न, इशारा और शिवाजी की जीवनी उनकी प्रमुख किताबें हैं. महाराष्ट्र में समाज सुधारक के रूप में फुले का बेहद सम्मान था. 1888 में विट्ठलराव कृष्णाजी वेंडेकर ने उन्हें महात्मा की उपाधि से संबोधित किया. इसके बाद वे महात्मा कहे जाने लगे. फुले ने समाज में ठुकराई गई महिलाओं को मुख्य धारा में लाने का भी काम किया. 28 नवंबर 1890 को ज्योतिबा फुले का निधन हो गया.  


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