वैसे उनका असल नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था लेकिन ज्योतिबा फुले के नाम से मशहूर हुए. उनका परिवार सतारा से पुणे आ गया था और माली का काम करने लगा था. माली का काम करने की वजह से उनके परिवार को 'फुले' के नाम से जाना जाता था. उनके नाम में लगे फुले का भी इसी से संबंध है.
खोला था महिलाओं के लिए पहला स्कूल
ज्योतिबा फूले ने महिलाओं के लिए देश का पहला महिला शिक्षा स्कूल खोला था. इसके अलावा वो भारतीय समाज में होने वाले जातिगत आधारित विभाजन और भेदभाव के कट्टर दुश्मन थे. उस समय महाराष्ट्र में जाति प्रथा बड़े पैमाने पर फैली हुई थी इसके लिए उन्होंने प्रार्थना समाज की स्थापना की. उन्होंने अपनी पत्नी को सावित्री को पढ़ाया और वो दूसरों को पढ़ाने लगीं. सावित्रीबाई फुले आगे चलकर देश की पहली प्रशिक्षित महिला अध्यापिका बनीं.ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई. 1888 में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई थी.
आइए आज उनके जन्म दिन पर जानते हैं उनके कुछ विचार जो आज भी प्रासंगिक हैं.
1- भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक नहीं होगा, जब तक खान -पान एवं वैवाहिक सम्बन्धों पर जातीय बंधन बने रहेंगे.
2-शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है.
3-आर्थिक असमानता के कारण किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.