ये कानून महिलाओं को देता है स्पेशल ट्रीटमेंट पर के. कविता इसकी हकदार नहीं, क्यों? दिल्ली HC पर भड़क गए SC के जज
सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकार लगाई कि उन्हें सेलेक्टिव अप्रोच के साथ काम नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह ऐसे किसी को भी आरोपी नहीं बना सकते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (27 अगस्त, 2024) को भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के. कविता को जमानत देते हुए जांच एजेंसियों को फटकार लगाई है. उन्हें भी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तरह बेल देते हुए कोर्ट ने कहा कि ट्रायल में देरी है और उन्हें अनिश्चितकाल तक के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल के जल्द शुरू होने की आशंका नजर नहीं आ रही है. के. कविता पर दिल्ली के आबकारी नीति घोटाला मामले में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं.
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि जांच एजेंसी अपनी जांच पूरी कर चुकी है और याचिकाकर्ता की कस्टडी की अब जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पांच महीने से जेल में हैं और अभी ट्रायल के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) की निष्पक्षता और सेलेक्टिव अप्रोच पर भी सवाल उठाए.
कोर्ट ने कहा, 'अभियजन को निष्पक्ष होना चाहिए. खुद को दोषी ठहराने वाले व्यक्ति को गवाह बना दिया गया. कल को आप जिसे चाहे उठा लोगे? आप ऐसे किसी को भी आरोपी नहीं बना सकते, ये कैसी निष्पक्षता है?' कोर्ट ने कहा कि सीबीआई और ईडी ने जांच पूरी करके चार्जशीट दाखिल कर दी है इसलिए याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है.
बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी पर भी ऐतराज जताया, जिसमें के. कविता को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा गया था कि वह पढ़ी-लिखी महिला हैं इसलिए पीएमएलए के सेक्शन 45 का प्रावधान उन पर लागू नहीं होता है. कोर्ट ने कहा, 'अदालतों को ऐसे मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए. अगर कोई महिला पढ़ी-लिखी है, या सांसद है, या विधायक है तो कोर्ट ये नहीं कह सकतीं कि उन पर पीएमएलए एक्ट के सेक्शन 45 का प्रावधान का लागू नहीं होता. दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच पूरी तरह से गलत थी.'
कोर्ट ने बताया कि कानून जमानत याचिका पर महिलाओं को स्पेशल ट्रीटमेंट प्रदान करता है. पीएमएलए का सेक्शन 45 मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में महिला समेत कुछ आरोपियों को संतुष्ट आवश्यकताओं के बगैर जमानत प्रदान करने की अनुमति देता है. कोर्ट ने के. कविता को दोनों मामलों में 10-10 लाख रुपये के बॉन्ड के साथ जमानत दे दी. साथ ही उन्हें पासपोर्ट डिपोजिट करने का भी निर्देश दिया. ईडी ने 15 मार्च को के. कविता को गिरफ्तार किया था. बाद में ईडी कस्टडी में ही सीबीआई ने उन्हें अरेस्ट कर लिया.
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