(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
वरिष्ठ वकील परासरन बने राम जन्मभूमि ट्रस्ट के पहले सदस्य, जानिए उनका पूरा परिचय
राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट का पहला सदस्य वरिष्ठ वकील के परासरन को बनाया गया है92 साल के परासरन वह वकील हैं जिन्होंने अयोध्या मामले में रामलला की तरफ से जिरह की थी.
नई दिल्ली: R-20, ग्रेटर कैलाश-1, नई दिल्ली. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का यह पता असल में वरिष्ठ वकील के. परासरन का घर है. अदालती गलियारों में बेहद सम्मानित 92 साल के परासरन वह वकील हैं जिन्होंने अयोध्या मामले में रामलला की तरफ से जिरह की थी. मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट का उन्हें पहला सदस्य बनाया गया है. ट्रस्ट का आधिकारिक पता भी उनका घर ही रखा गया है. कानून के अलावा धार्मिक विषयों के भी गहरे जानकार परासरन ने अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान न सिर्फ सबूतों पर बहस की, बल्कि धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं को भी इस ढंग से कोर्ट में रखा कि सब मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते रह गए.
बैठ कर जिरह का अनुरोध ठुकराया
अयोध्या सुनवाई के दूसरे दिन जब परासरन जिरह के लिए खड़े हुए तो उनकी अधिक उम्र और वरिष्ठता का लिहाज़ करते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, "आप चाहें तो बैठकर अपनी बात रख सकते हैं." लेकिन परासरन ने विनम्रता से इस आग्रह को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा, "वकीलों के लिए तय नियम और अदालत की परंपराएं मुझे इसकी इजाजत नहीं देती हैं. मुझे उम्र की परवाह नहीं है. मैं खड़े होकर ही अपनी बात रखना चाहता हूं.“ इसके बाद 5 पूरे दिन उन्होंने जिरह की.
भगवान राम में गहरी आस्था
भगवान राम में गहरी आस्था रखने वाले परासरन ने राम सेतु मामले में भी पैरवी की थी. तब उन्होंने राम सेतु को तोड़ कर समुद्री जहाजों के लिए रास्ता बनाने से जुड़े सेतु समुद्रम परियोजना पर रोक लगवाने में कामयाबी हासिल की थी. अदालत के बाहर किसी के सवाल पूछने पर उन्होंने कहा था, “मैं अपने राम के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ.“
धवन का किया इंतज़ार
40 दिन तक चली पूरी सुनवाई में परासरन कोर्ट में मौजूद रहे. वकालत के पेशे के ‘भीष्म पितामह’ कहे जाने वाले वरिष्ठ वकील स्वभाव से बेहद सहज और विनम्र हैं. 16 अक्टूबर को अयोध्या मामले में कोर्ट की तरफ से फैसला सुरक्षित रखने के बाद 15 मिनट तक कोर्ट के बाहर खड़े रहे. वह मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन का इंतज़ार कर रहे थे. धवन के आने के बाद उन्होंने उनके साथ मुस्कुराते हुए तस्वीर खिंचवाई. यह संकेत दिया कि लंबी जिरह से उनके मन में कोई कड़वाहट नहीं आई है.
पद्म विभूषण से सम्मानित
बतौर वकील के. परासरन लगभग 70 साल से सक्रिय हैं. 9 अक्टूबर 1927 को जन्मे परासरन 1983 से 1989 के बीच यानी पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में देश के एटॉर्नी जनरल थे. 2003 में उन्हें पदम् भूषण और 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 2012 से 2018 तक वह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे. उनके बेटे मोहन परासरन देश के सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं.
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