आज कैफी आजमी की 101वीं जयंती है और इस मौके पर गूगल ने उनका डूडल बनाया है. कैफी आजमी बेहद प्रोगरेसिव शायर थे और ये बात उनकी शायरी से लेकर उनकी जिंदगी तक में दिखाई देती थी. उन्होंने कविताओं से लेकर बॉलीवुड तक के लिए लिखा. स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि वो इस सदी के महानतम शायरों में से एक थे.


आपको बता दें कि उनका जन्म यूपी के आजमगढ़ में हुआ था और उन्होंने अपनी पहली कविता महज 11 साल की उम्र में ही लिख डाली थी. उस दौरान वे गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से काफी प्रेरित थे. बाद में को मुंबई चले गए और एक उर्दू अखबार के लिए लिखने लगे. 1943 में फनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ जिसका नाम था झंकार.


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उनकी शिक्षा मदरसे में हुई थी जबकि उनके बाकी भाईयों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाया गया था. दरअसल पिता ने जमींदारी छोड़ दी थी और ऐसे में सभी बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाना मुमकिन ना था. साथ ही उनके पिता चाहते थे कि एक बच्चे को कम से कम फातिहा पढ़ना आना चाहिए ताकि उनकी मृत्यु के बाद कोई ठीक से फातिहा पढ़े.


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शायद यही कारण था कि कैफी ने शबाना को अंग्रेजी स्कूल में दाखिल कराया लेकिन एडमिशन के वक्त स्कूल नहीं गए. उन्होंने लखनऊ और इलाहाबाद से पढ़ाई की थी. उर्दू के अलावा उन्हें फारसी का भी बहुत अच्छा ज्ञान था.


कैफी आजमी को कई अवार्ड मिले. उन्हें तीन बार फिल्मफेयर मिला, पद्मश्री मिला, साहित्य अकादमी पुरुस्कार मिला और ऐसे ही कई बड़े अवार्ड्स से उन्हें नवाजा गया. कैफी को ऐसी नज्में लिखने के लिए जाना जाता है जो काफी प्रोगरेसिव थीं.


गूगल वक्त वक्त पर डूडल बनाता है और ऐसी हस्तियों को सलाम करता है. यकीनन आज कैफी के चाहने वाले काफी खुश होंगे.