कैलाश सत्यार्थी ने देश के बच्चों के नाम लिखा खुला खत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी की ये बड़ी अपील
कैलाश सत्यार्थी ने खत में लिखा कि नीति निर्माताओं, कारोबारियों, ग्राहकों और सामान्य नागरिकों को ये सुनिश्चित करना होगा कि वो ऐसे बड़े और गहरे कदम उठाएं जिनसे आने वाले भविष्य के लिए हवा, पानी और जमीन को साफ और टिकाऊ बनाकर रखा जा सके.
नई दिल्लीः नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय कैलाश सत्यार्थी ने आज बाल दिवस के मौके पर देश के बच्चों के लिए एक खुला पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने बच्चों से माफी मांगते हुए लिखा है कि उन्हें इस बात का दुख है कि आज के बाल दिवस के दिन बच्चे खुशियों से वंचित हैं. इसके अलावा उन्होंने इस पत्र में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वो वायु अधिनियम 1981 को संशोधित करें और देश में स्वच्छ हवा की उपलब्धता के लिए पांच वर्षीय कार्ययोजना तैयार करें.
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देश के बच्चों के नाम लिखे खुले खत में उन्होंने कहा है कि उन्हें दुख है कि जिस इंडिया गेट के सामने वो इक्ट्ठा हुए हैं उसके ऊपर का आसमान प्रदूषित वायु से भरा हुआ है जिसकी वजह से बच्चे ठीक से सांस लेने की स्थिति में भी नहीं हैं. उन्होंने लिखा है कि ह इस बात के लिए दुखी हैं कि हमने बाल आवाजों को इस धुंध भरी प्रदूषित हवा में घोट दिया है. इसके आगे उन्होंने लिखा है कि हम ऐसा नहीं होने दे सकते हैं.
उन्होंने लिखा है कि हमे अपने कार्यों और मंशाओं को साफ रखना होगा. नीति निर्माताओं, कारोबारियों, ग्राहकों और सामान्य नागरिकों को ये सुनिश्चित करना होगा कि वो ऐसे बड़े और गहरे कदम उठाएं जिनसे आने वाले भविष्य के लिए हवा, पानी और जमीन को साफ और टिकाऊ बनाकर रखा जा सके.
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कैलाश सत्यार्थी ने आगे लिखा है कि आगे के उज्जवल भविष्य के लिए हमें कुछ बलिदान भी देने होंगे. हमें नई कार्ययोजना पर काम करना होगा. जिंदगी को बचाए रखने के लिए हमें अपनी ग्रोथ और आरामतलबी को कुछ हद तक त्यागना होगा. उन्होंने लिखा कि उन्हें बच्चों से बेहद उम्मीदें हैं और हम असफल नहीं हो सकते. साथ मिलकर हम भारत को भी असफल नहीं होने देंगे.
बता दें कि कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के संस्थापक हैं और साल 2014 में इन्हें बाल विकास से जुड़े कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला था.
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