बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने संविधान के आर्टिकल 30 को लेकर उठाए सवाल
कैलाश विजयवर्गीय ने संविधान के आर्टिकल 30 को लेकर सवाल उठाए हैं.उन्होंने कहा कि ये अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रचार और धर्म शिक्षा की इजाजत देता है.
भोपाल: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर नए विवाद को जन्म दे दिया है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद-30 के औचित्य पर कैलाश विजयवर्गीय ने सवाल उठाए हैं. कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने कहा कि देश में संवैधानिक समानता के अधिकार को 'आर्टिकल 30' सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है.
कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट किया,'' देश में संवैधानिक समानता के अधिकार को 'आर्टिकल 30' सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. ये अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रचार और धर्म शिक्षा की इजाजत देता है, जो दूसरे धर्मों को नहीं मिलती. जब हमारा देश धर्मनिरपेक्षता का पक्षधर है, तो 'आर्टिकल 30' की क्या जरुरत.''
देश में संवैधानिक समानता के अधिकार को 'आर्टिकल 30' सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा रहा है। ये अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रचार और धर्म शिक्षा की इजाजत देता है, जो दूसरे धर्मों को नहीं मिलती। जब हमारा देश धर्मनिरपेक्षता का पक्षधर है, तो 'आर्टिकल 30' की क्या जरुरत!#आर्टिकल_30_हटाओ
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 28, 2020
क्या है आर्टिकल-30 और 30a
दरअसल आर्टिकल 30 अल्पसंख्यक वर्गों के लिए शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और उनके संचालन के बारे में बात करता है. वहीं आर्टिकल 30(1) के मुताबिक सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने का अधिकार धर्म या भाषा के आधार पर होगा.
क्या है आर्टिकल 30(1A)
30(1A) के मुताबिक अल्पसंख्यक वर्ग स्थापित शिक्षा संस्थान के लिए राशि निर्धारित कर सकता है
क्या आर्टिकल 30 हिंदुओं के खिलाफ है
बता दें कि किसी धार्मिक ग्रंथ का नाम संविधान में कहीं भी नहीं लिखा है. भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष है. साथ ही इसमें ऐसा कोई प्रावधान नही हैं जिसमें कहा गया हो कि स्कूलों में गीता पढ़ाया जा सके या मदरसों में कुरान. हालांकि कुछ तथाकथित धर्मगुरु हैं जो अपनी दुकान चला रहे हैं.
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