कैराना: उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा उपचुनाव से पहले बड़ा उलटफेर हुआ है. निर्दलीय प्रत्याशी कंवर हसन ने अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का हाथ थाम लिया है. इससे बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि गठबंधन को लगभग 20 हज़ार वोटों का फायदा हो सकता है. कंवर हसन रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन के देवर हैं.
28 मई को यूपी के कैराना में वोट डाले जाएंगे हैं. इसके साथ ही नूरपुर सीट पर विधानसभा उपचुनाव भी 28 मई को ही होंगे. बीजेपी के लिए कैराना सीट जीतना काफी अहम है क्योंकि इससे पहले बीजेपी यूपी के फूलपुर और गोरखपुर सीट पर उपचुनाव हार चुकी है. ये दोनों ही बीजेपी के गढ़ रहे हैं. ऐसे में कैराना का उपचुनाव बीजेपी के लिए यूपी में साख बचाने की लड़ाई है.
कैराना में राष्ट्रीय लोक दल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन को समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बीएसपी के बाद आम आदमी पार्टी का भी समर्थन मिला हुआ है. तबस्सुम का मुकाबला बीजेपी की मृगांका सिंह से है. ऐसे में कंवर हसन के रालोद में शामिल हो जाने से तबस्सुम हसन को बड़ा फायदा हो सकता है.
अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी गांव-गांव घूम कर तबस्सुम के पक्ष में वोट मांग रहे हैं. समाजवादी पार्टी के नेताओं का भी पूरा अमला कैराना में जोर आजमाइश कर रहा है. बीएसपी और कांग्रेस के लोग भी अपने तरीकों से तबस्सुम की मदद कर रहे हैं.
बीजेपी से जुड़ी एक पूरी बड़ी टीम कैराना में प्रचार अभियान में जुटी हुई है. योगी आदित्यनाथ खुद प्रचार की कमान संभाले हुए हैं. कैराना में योगी के निशाने पर अखिलेश यादव है. आज योगी ने कैराना जाने से पहले दिल्ली के कालका जी मंदिर में पूजा की है.
बता दें कि कैराना सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई है. साल 2014 में हुकुम सिंह करीब ढाई लाख वोटों से जीते थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में कैराना की 5 सीटों पर बीजेपी का वोट करीब 24 प्रतिशत कम हो गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कैराना में जीत हासिल की थी.