रविवार को तेलंगाना में स्थित काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल कर लिया है. संस्कृति मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी. वहीं, इस अवसर पर पीएम मोदी ने भी तेलंगाना की जनता को बधाई दी है.
रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था और इसका नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया है. सरकार ने 2019 के लिए यूनेस्को को इसे विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता देने का प्रस्ताव दिया था. रामप्पा को मंदिर निर्माण में 40 साल का समय लगा था. छह फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य देखे जा सकते हैं. मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की एक विशाल मूर्ति भी है, जिसकी ऊंचाई नौ फीट है. शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां काफी श्रद्धालु पहुंचते हैं. काकतीय धरोहर न्यास (केएचटी) के न्यासी एम पांडुरंगा राव ने कहा कि वे विश्व धरोहर स्थलों की सूची के लिए भारत के नामांकन में रामप्पा मंदिर को शामिल कराने के लिए 2010 से तेलंगाना राज्य पुरातत्व विभाग और एएसआई के साथ मिलकर इसका प्रस्ताव देने वाला एक डोजियर तैयार कर रहे थे.
पीएम मोदी और जी किशन रेड्डी ने किया ट्वीट
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "सभी को बधाई, खासकर तेलंगाना की जनता को. प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतिया वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है. मैं आप सभी से इस शानदार मंदिर के परिसर में जाने और इसकी भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का आग्रह करता हूं.”
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने ट्वीट किया, "मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि यूनेस्को ने तेलंगाना के वारंगल के पालमपेट में स्थित रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता दी है. तेलंगाना के लोगों की तरफ से, मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उनके मार्गदर्शन और हिमायत के लिए शुक्रिया अदा करता हूं."
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