Kalyan Singh Passes Away: कल्याण सिंह तो बीजेपी में मंडल और कमंडल की राजनीति के प्रयोग थे
कल्याण सिंह की एक चाहत अधूरी रह गई. वो अयोध्या में भव्य राम मंदिर देखने के बाद आखिरी सांस लेना चाहते थे. एक समय में उनकी गिनती अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद होती थी.
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Kalyan Singh Passes Away: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया. वे 89 साल के थे. उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. 4 जुलाई से ही उनका इलाज लखनऊ के एसजीपीजीआई में चल रहा था. कल्याण सिंह को लोग ‘बाबू जी’ कहा करते थे. उनके निधन पर 3 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है. कल्याण सिंह के देहांत पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनके पास शब्द नहीं है. उनकी फ़ोटो ट्वीट करते हुए पीएम मोदी ने उन्हें ग़रीबों और हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज़ बताया.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को जैसे ही कल्याण सिंह के गुजर जाने का पता चला वे तुरंत एसजीपीजीआई पहुंचे. उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कल्याण सिंह को अप्रतिम संगठनकर्ता और लोकप्रिय जनसेवा बताया. 23 अगस्त को अलीगढ़ के नरोरा में गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. उससे पहले रविवार को अंतिम दर्शन के लिए उन्हें पहले विधानसभा और फिर बीजेपी ऑफिस ले ज़ाया जाएगा.
कल्याण सिंह की एक चाहत अधूरी ही रह गई. वे अयोध्या में भव्य राम मंदिर देख कर ही आख़िरी सांस लेना चाहते थे. लेकिन ये ख़्वाहिश पूरी नहीं हो पाई. पिछले साल जब 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ तब भी वे नहीं जा पाए. उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई.
कल्याण सिंह राम जन्म भूमि आंदोलन के बहुत बड़े नेता माने जाते थे. एक जमाने में उनकी गिनती अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद होती थी. राम मंदिर के लिए उन्होंने अपनी सरकार की बलि तक दे दी. 6 दिसंबर 1992 के जब अयोध्या में निन्दित ढाँचा गिराई गई तब वे यूपी के सीएम थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से वादा किया था कि ढांचे के कोई नुक़सान नहीं होगा. उस दिन दोपहर 1 बजे केंद्रीय गृह मंत्री एस बी चव्हाण ने कल्याण सिंह को फ़ोन कर पूछा कि मेरे पास सूचना आई है कि कारसेवक गुंबद पर चढ़ गए हैं तो कल्याण सिंह ने जवाब दिया कि मेरे पास एक कदम आगे की सूचना है कि कारसेवक गुंबद पर चढ़ कर उसे तोड़ रहे हैं . तब नरसिंहाराव की सरकार थी. कल्याण सिंह ने कहा था कि ढांचा नहीं बचा तो कोई ग़म नहीं है और ढांचा टूटने पर कोई खेद नहीं है. लोग कहते हैं कि ढांचा गिरना राष्ट्रीय शर्म की बात है पर मैं तो कहता हूं कि 6 दिसंबर 1992 की घटना राष्ट्रीय गर्व की बात है.
कल्याण सिंह दो दो बार यूपी के सीएम रहे. पहली बार वे 1991 में और फिर दुबारा 1997 में मुख्यमंत्री बने. दूसरी बार उन्हें बीजेपी ने हटा दिया था. फिर उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी. अपनी अलग पार्टी बनाई. फिर मुलायम सिंह यादव के साथ भी चले गए. लेकिन फिर 2013 में बीजेपी में उनकी घर वापसी हो गई. तब वे भावुक होकर रो पड़े थे. कल्याण सिंह ने कहा था कि मेरी इच्छा है कि मैं जीवन भर बीजेपी में रहूं और जब मेरा अंत हो तो मेरा शव बीजेपी के झंडे में लिपट कर जाए. उनकी ये आख़िरी इच्छा पूरी हुई.
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