नई दिल्ली: अब मध्य प्रदेश की कमान कमलनाथ के हाथ होगी. कांग्रेस 15 साल सत्ता से बाहर रहने के बाद सरकार बनाने जा रही है. प्रदेश कांग्रेस ने राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. बता दें कि काफी गहमा गहमी के बाद मध्य प्रदेश में सीएम पद के लिए कमलनाथ के नाम पर राहुल गांधी ने हामी भर दी. सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ 15 दिसंबर को शपथ लेंगे.
कमलनाथ कांग्रेस के काफी पुराने नेता हैं. कमलनाथ को संजय गांधी का करीबी माना जाता रहा है. वह संजय गांधी के स्कूली दोस्त हैं. दून स्कूल से शुरू हुई यह दोस्ती काफी लंबी चली और इसी वजह से कमलनाथ ने अपना सर्वस्व कांग्रेस पार्टी की सेवा में लगा दिया. 1980 में कांग्रेस ने उन्हें पहली बार छिंदवारा से टिकट दिया था. इंदिरा गांधी ने उस समय चुनाव प्रचार के दैरान कहा था कि मैं नहीं चाहती आप कमलनाथ को वोट करें बल्कि मैं कहती हूं कि आप मेरे तीसरे बेटे को वोट करें.
आदिवासी छिंदवारा से 1980 से पहली बार उन्होंने चुनाव जीता और उसके बाद ही इस इलाके की तस्वीर बदलने में लग गए. वह छिंदवारा से 9 बार विधायक चुने गए हैं. से उनके सियासी सफर में ढलान तब आया जब संजय गांधी और उसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. इसके बाद भी वह पार्टी के प्रति हमेशा वफादार रहे. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में उनका नाम भी आया था लेकिन उनकी भूमिका सज्जन कुमार या जगदीश टाइटलर जैसे नेताओं की तरह स्पष्ट नहीं हो सकी.
उनके सियासी सफर में सिख विरोधी दंगे और हवाला कांड दो ऐसे वाकये हैं जिसने उनकी सियासी सफर और व्यक्तित्व पर सवाल उठाया. 1996 में जब कमलनाथ पर हवाला कांड के आरोप लगे थे तब पार्टी ने छिंदवाड़ा से उनकी पत्नी अलकानाथ को टिकट देकर उतारा था, वो जीत गई थीं लेकिन अगले साल हुए उपचुनाव में कमलनाथ को हार का मुंह देखना पड़ा था. वे छिंदवाड़ा से केवल एक ही बार हारे हैं.
महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली
कमलनाथ ने कांग्रेस सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली है. यूपीए सरकार में पर्यावरण और वन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. साल 1995 से 1996 तक केंद्र सरकार में कपड़ा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे. 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. 2009 में यूपीए-टू में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. 2001 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे.
इस बार भी जीत में निभाई बड़ी भूमिका
ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह राहुल गांधी ने कमलनाथ को इस साल 26 अप्रैल को मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया. यहां कांग्रेस साल 2003 से सत्ता से बाहर थी. इस बार भी उनपर पार्टी ने भरोसा दिखाया और वह उस पर खड़े उतरे. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कमलनाथ ने राज्य में विपक्षी कांग्रेस की किस्मत फिर से पलटने में कामयाबी पाई और कांग्रेस की सरकार बनाई. राज्य में इस बार कांग्रेस को 230 सीटों में कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली जबकि बीजेपी को 109 सीटों पर कामयाबी मिली.
कमलनाथ की दावेदारी की राह में थे ज्योतिरादित्य सिंधिया-
लेकिन कमलनाथ की दावेदारी की राह में युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया खड़े थे जिनकी जुगलबंदी चुनाव के दौरान खूब देखने को मिली. प्रदेश में कांग्रेस के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से 4 बार के सांसद हैं. सिंधिया ने अपने बेबाक बयानों और विपक्षी पार्टियों पर करारा प्रहार करने के लिए जाने जाते हैं.
यह भी पढ़ें-
Election Results: सोनिया गांधी बोलीं- बीजेपी की नकारात्मक राजनीति पर कांग्रेस को जीत मिली है
Result 2018: अगर यही नतीजे रहे तो BJP को 2019 में एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान में 31 सीटों का होगा नुकसान
देखें वीडियो-