Kandahar Plane Hijack 1999: 23 साल पहले 24 दिसंबर 1999 को एक ऐसी खबर सामने आई थी, जिससे पूरा देश सहम गया था. शाम के करीब 4.30 बजे इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 के अचानक गायब हो जाने की खबर मिली. पहले भारत और इसके बाद पूरी दुनिया तक खबर पहुंच गई थी कि भारतीय विमान को हाईजैक कर लिया गया है. यह विमान काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नई दिल्ली के लिए रवाना हुआ था. चलिए आपको बताते हैं विमान के हाइजैक होने की पूरी कहानी.


हमेशा की तरह की इस दिन भी इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट ने काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेक ऑफ किया था, लेकिन किसी को खबर नहीं थी कि विमान में यात्री के तौर पर पांच आतंकवादी भी बैठे हैं. विमान के भारतीय वायु क्षेत्र में पहुंचते ही उन्होंने हथियार के बल पर फ्लाइट को कब्जे में ले लिया. अपहरणकर्ताओं की मांग थी कि फ्लाइट को पाकिस्तान ले जाया जाए. 


अपहरणकर्ताओं ने विमान को कई स्थानों पर उड़ाने का आदेश दिया. अमृतसर, लाहौर और फारस की खाड़ी से दुबई तक इसे ले जाया गया. बाद में विमान को अफगानिस्तान के कंधार में उतरने के लिए मजबूर किया गया, जो उस समय तालिबान के नियंत्रित था. अपहरणकर्ताओं ने दुबई में 176 यात्रियों में से 27 को रिहा कर दिया, लेकिन एक को घातक रूप से चाकू मार दिया और कई अन्य को घायल कर दिया. 


क्यों छोड़े थे 27 यात्री 


इन 27 यात्रियों को रिफ्यूलिंग के चलते छोड़ा गया था. ईंधन भरे जाने की एवज में इन यात्रियों की रिहाई पर समझौता हुआ था. रिहा किए गए 27 यात्रियों में महिलाएं और बच्चे शामिल थे. इन्हें दुबई में रिहा किया गया था. इसके अलावा एक दिन बाद डायबिटीज से पीड़ित एक व्यक्ति को भी रिहा कर दिया गया था. वहीं, कैंसर से पीड़ित के महिला को 90 मिनट के लिए फ्लाइट से जाने की अनुमति दी थी.  


आतंकियों की रिहाई की मांग 


अपहरण का मकसद भारत की जेल में बंद इस्लामी आतंकवादियों की रिहाई कराना था. एचयूएम (HUM) के साथी सदस्य अहमद उमर सईद शेख, मसूद अजहर और एक कश्मीरी आतंकवादी मुश्ताक अहमद जरगर सहित 36 आतंकियों को रिहा करने की मां रखी थी. इसके साथ ही उन्होंने 20 करोड़ अमरीकी डॉलर की भी मांग की थी. इतना ही नहीं अपहरणकर्ता एक कश्मीरी अलगाववादी की लाश की भी मांग कर रहे थे. हालांकि तालिबान के दखल देने के बाद उन्होंने लाश और पैसे की मांग छोड़ दी थी. 


तीन आतंकियों की हुई थी रिहाई


इस विमान में केवल भारतीय यात्री ही नहीं थे बल्कि ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, इटली, जापान, स्पेन और अमेरिका के नागरिक भी शामिल थे. पहले भारत को लगा था कि आतंकवादियों को मना लिया जाएगा लेकिन जैसे-जैसे दिन बीते भारत सरकार को अपने लोगों का डर सताने लगा और मजबूरन तत्कालीन एनडीए सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चत करने के लिए तीन आतंकियों को कंधार ले जाकर रिहा करने का फैसला लेना पड़ा था. 


24 दिसंबर को हाइजैक किए गए इस विमान को 31 दिसंबर को सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया. इसी रात सभी यात्रियों को भारत वापस लाया गया. भारत के लिए यह आठ दिन किसी बुरे सपने से कम नहीं थे. 


ये भी पढ़ें: 


Afghanistan Women Education: जावेद अख्तर, नसीरुद्दीन शाह समेत 50 से ज्यादा शख्सियतों ने की तालिबान के फैसले की निंदा