मुंबई: कंगना रनौत के दफ्तर पर हुई कथित अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई के मामले पर कंगना रनौत द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान एक बार फिर कंगना रनौत और संजय राउत अपने वकीलों के माध्यम से आमने सामने दिखे. हाइकोर्ट में संजय राउत के उस बयान का जिक्र हुआ जिसमें उन्होंने 'हरामखोर' शब्द का इस्तेमाल किया था. हालांकि संजय राउत के वकील की तरफ से कहा गया कि यह शब्द कंगना रनौत के लिए इस्तेमाल नहीं हुआ था और उनका मतलब कुछ और था. जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप हमें इसका मतलब मत बताइए हमारे पास डिक्शनरी भी है, जिससे हमको हर एक शब्द का अर्थ पता चल जाएगा.


बीएमसी द्वारा की गई तोड़फोड़ की कार्रवाई पर सवाल उठाने वाली कंगना की याचिका पर सुनवाई के दौरान कंगना के वकील ने दलील देते हुए कोर्ट को बताया कि कंगना ने सरकार में बैठे कुछ ताकतवर लोगों को लेकर बयान दिए थे और ट्वीट किए थे, जिसके बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा था कि सबक सिखाएंगे और 'हरामखोर' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था. सुनवाई के दौरान संजय राउत के बयान का जिक्र आने पर हाईकोर्ट ने कंगना के वकील से संजय राउत के बयान को कोर्ट के सामने चला कर दिखाने को भी कहा जिसके बाद वो बयान कोर्ट के सामने चलाया भी गया.


हालांकि सुनवाई के दौरान संजय राउत के वकील ने दलील देते हुए कहा कि संजय राउत ने अपने बयान में कहीं पर भी कंगना का नाम नहीं लिया. कोर्ट ने संजय राउत के वकील से पूछा क्या हम यह आपका बयान दर्ज करें कि राउत ने कंगना को 'हरामखोर' नहीं कहा था. जिस पर संजय राउत के वकील ने कहा कि वह इस मामले में बाद में हलफनामा दायर कर सकते हैं.


इसी दौरान कंगना के वकील ने कोर्ट को उस बयान के बारे में भी बताया, जिसमें संजय राउत ने 'हरामखोर' शब्द का मतलब बताया था. कंगना रनौत के वकील ने कहा कि वह संजय राउत के उस बयान की कॉपी भी कोर्ट को दे देंगे, जिसमें संजय राउत उस शब्द का मतलब बता रहे हैं. इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे पास शब्दकोष यानी डिक्शनरी है, जिससे हम सारे मतलब पता लगा लेंगे.


कंगना के वकील ने कहा कि पिछले कुछ समय से कंगना और महाराष्ट्र सरकार में सत्ता में बैठे लोगों के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गतिरोध चल रहा था. जो बात सत्ता में बैठे कुछ लोगों को नागवार गुजरी. कंगना के वकील ने दलील देते हुए कहा कि जो पार्टी इस वक्त महाराष्ट्र सरकार में है, उसी का बीएमसी पर भी कब्जा है और इस वजह से भी यह कार्रवाई पक्षपातपूर्ण कही जा सकती है.


कंगना के वकील ने बीएमसी के आनन-फानन में की गई कार्रवाई यह दिखाती है कि वह कार्रवाई पक्षपातपूर्ण थी. क्योंकि एक तरफ कंगना को लेकर रसूख वाले लोग इस तरीके से बातें कर रहे थे तो दूसरी तरफ बीएमसी के अधिकारी उसी दौरान कंगना के दफ्तर पर पहुंच गए आखिर ये क्या दिखाता है? कंगना के वकील ने कहा कि जिस तरीके से नोटिस जारी किया और 24 घंटे बाद ही डिमोलिशन की कार्रवाई की गई, वह दिखाता है कि किस तरह से बीएमसी का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा है.


बीएमसी के वकील ने कहा कि कंगना आरोप लगा रही है कि उनके 5 सितंबर के ट्वीट के बाद में यह कार्रवाई की गई, लिहाजा वो ट्वीट भी कोर्ट के सामने लाया जाना चाहिए. जिसके बाद में कोर्ट ने कंगना के वकील से 5 सितंबर के ट्वीट को भी कोर्ट के सामने पेश करने को कहा. इस बीच कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर आपने सार्वजनिक तौर पर कुछ कहा है तो उसका सामना करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने यह बात एक दूसरे को लेकर हो रही बयानबाजी के संदर्भ में ही कही.


कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी के बाद कंगना के वकील ने कहा कि हम कुछ भी छुपाना नहीं चाहते. हमने जो भी ट्वीट किया है, वह सार्वजनिक तौर पर सबके सामने है. जिसके बाद कंगना के वकील ने कंगना द्वारा 30 अगस्त से लेकर डिमोलिशन की कार्रवाई के बीच किए गए सभी ट्वीट को कोर्ट के सामने पेश किया.


कंगना के वकील ने अपनी दलील में कहा कि बीएमसी के अधिकारियों द्वारा की गई ये कार्रवाई अगर किसी रसूख वाले व्यक्ति के कहने पर या कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर और नियमों को ताक पर रख कर की जाती है तो उस कार्रवाई को सीधे तौर पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई ही माना जाना चाहिए.


जिसके बाद कोर्ट ने संजय राउत के वकील से कहा कि वह संजय राउत के बयानों, उसके मतलब और उनके पक्ष को लेकर मंगलवार को भी अपनी सुनवाई जारी रखेंगे.