Kangana Ranaut Petition Disposed: किसान आंदोलन (Farmers Movement) को खालिस्तान (Khalistan) से जोड़ने वाले अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के बयान के खिलाफ याचिका में कोई आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मना कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आश्वस्त करते हुए कहा कि आम नागरिक सिख और खालिस्तानी का फर्क समझता है. याचिकाकर्ता को सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की जगह दूसरे कानूनी विकल्प अपनाने चाहिए थे.
मुंबई के रहने वाले वकील चरणजीत सिंह चंद्रपाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि कंगना ने किसान आंदोलन को खालिस्तान से जोड़ कर सिख समुदाय का अपमान किया है. कंगना ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गुरु भी कहा. यह भी सिखों की धार्मिक भावनाओं को आघात पहुंचाने वाला वक्तव्य था. वकील की मांग थी कि इस मामले को लेकर देश भर में दायर मुकदमों को मुंबई के खार थाने में ट्रांसफर कर दिया जाए.
चरणजीत सिंह ने कंगना के सभी सोशल मीडिया पोस्ट पर सेंसरशिप की भी मांग की थी. कोर्ट ने कहा कि इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की ज़रूरत नहीं है. याचिकाकर्ता दूसरे कानूनी विकल्प अपना सकता है. सभी मुकदमों को मुंबई ट्रांसफर करने की मांग पर कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में शिकायतकर्ता और आरोपी ही इस तरह की मांग उठा सकते हैं. किसी तीसरे पक्ष को यह अधिकार नहीं.
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और बेला त्रिवेदी की बेंच की तरफ से सुनवाई से मना करने के बावजूद याचिकाकर्ता अपनी बात रखते रहे. उनका कहना था कि एक बड़ी अभिनेत्री का गैरज़िम्मेदाराना वक्तव्य सिख समुदाय की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है. अभिनेत्री बार-बार ऐसे बयान देने की आदि है.
इस पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने उन्हें समझाते हुए कहा, "आप बार-बार यह बात कह कर उस बयान को प्रचार दे रहे हैं. देश के सभी लोग सिख और खालिस्तानी का फर्क समझते हैं. हम यह नहीं कह रहे कि आप इस बयान की पूरी तरह उपेक्षा कर दीजिए. लेकिन आपने मुंबई में शिकायत दर्ज करवाई है. आप इसी तरह के दूसरे कानूनी रास्ते अपना सकते हैं."
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