मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक इंटरव्यू में शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत द्वारा अभिनेत्री कंगना रनौत को दी गई एक कथित धमकी का उल्लेख करते हुए मंगलवार को पूछा कि क्या एक सांसद को इस तरह जवाब देना चाहिए?


अभिनेत्री कंगना रनौत ने शिवसेना के नियंत्रण वाली बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा नौ सितंबर को उनके बंगले में की गई तोड़-फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका में राउत को भी प्रतिवादी बनाया है. उच्च न्यायालय ने तोड़-फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.


अदालत ने कहा, ''हालांकि, हम याचिकाकर्ता (रनौत) द्वारा कहे गए एक भी शब्द से सहमत नहीं है लेकिन क्या यह बात करने का तरीका है?'' जस्टिस एस जे कठवल्ला और जस्टिस आरआई चागला की खंडपीठ ने कहा, '' हम भी महाराष्ट्रवासी हैं. हम सभी को महाराष्ट्रवासी होने पर गर्व है. लेकिन हम जाकर किसी का घर नहीं तोड़ते. क्या प्रतिक्रया देने का यह तरीका है? क्या आपमें दया नहीं है?''


बीएमसी की कार्रवाई को ''अवैध'' करार देते हुए दो करोड़ रुपये के मुआवजे का अनुरोध करने वाली रनौत की याचिका पर पीठ अंतिम सुनवाई कर रही है. इससे पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान, राउत ने एक शपथपत्र दाखिल किया, जिसमें उन्होंने रनौत को धमकी दिए जाने से इंकार किया.


शपथपत्र में कहा गया, '' यह इस तरह नहीं था, जिस तरह याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था.'' इस पर अदालत ने कहा कि कम से कम राउत ने स्वीकार किया कि वह साक्षात्कार में रानौत के बारे में बात कर रहे थे, जैसा कि पहले की सुनवाई में, उनके वकील ने इस बात से इंकार किया था कि राउत ने रनौत के संदर्भ में कुछ भी कहा था.


एक चैनल को दिए साक्षात्कार में राउत ने अभिनेत्री के संदर्भ में कथित तौर पर आपत्तिजनक शब्द का उपयोग किया था और कहा था, '' कानून क्या है? उखाड़ देंगे.'' पीठ ने कहा, '' आप एक सांसद हैं. आपमें कानून के लिए कोई सम्मान नहीं है? आपने पूछा कि कानून क्या है?'' राउत की वकील ने माना कि राज्यसभा सदस्य को अधिक जिम्मेदार होना चाहिए था.


राउत की वकील ने कहा, '' उन्हें (राउत) ऐसा नहीं कहना चाहिए था. लेकिन वहां धमकी भरा कोई संदेश नहीं था. उन्होंने केवल इतना कहा था कि याचिकाकर्ता बेहद बेईमान है... और यही वह टिप्पणी थी जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि महाराष्ट्र सुरक्षित नहीं है.''