नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे विरोध के बीच जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार आज पहली बार दिल्ली में प्रदर्शनरत छात्रों के बीच पहुंचे. पहले कन्हैया कुमार देर शाम जामिया के छात्रों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और उसके बाद आधी रात को जेएनयू में प्रोटेस्ट मार्च में हिस्सा लिया. CAA को लेकर जामिया और दिल्ली के दूसरे इलाकों में हुई हिंसा के बाद दिल्ली पहुंचे कन्हैया कुमार ने छात्रों के प्रदर्शन का समर्थन कर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की. आधी रात को जेएनयू परिसर में छात्रों के प्रोटेस्ट मार्च में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने छात्रों को संबोधित भी किया.


कन्हैया कुमार ने कहा कि जामिया में जब लाठियां बरसाईं गईं तो सबसे पहले जेएनयू के छात्रों ने पुलिस दफ़्तर को घेरा, तब जाकर हिरासत में लिए गए जामिया छात्रों को रिहा किया गया. जो मार अलीगढ़ और जामिया को पड़ी है उससे जेएनयू के छात्र महरूम रह गए. लेकिन अच्छी बात यह है कि एक बार पुलिस से पिट जाओ तो डर ख़त्म हो जाता है और मेरे अनुभव में पुलिस ही नहीं बल्कि वकील से भी पिटाई हुई है. कन्हैया ने कहा कि हम ऐसी सरकार से मुकाबला कर रहे हैं जो इतिहास में फेल हैं और इन्हें तो भूगोल भी नहीं समझ आती है.


छात्रों को संबोधित करते हुए कन्हैया ने आगे कहा कि लोगों को NRC का विरोध समझना होगा. पूर्वोत्तर के राज्यों में आंदोलन के सवाल बाकी देश से अलग हैं. बीजेपी जब सरकार में आई तो हिन्दू-मुसलमान का आईडिया उन्हें अच्छा लगा, CAA लागू करने से पहले पूरे देश मे NRC लागू करने की बात कही गयी. ये हर नागरिक से जानना चाहते हैं कि इनके पूर्वज कहां से आये हैं, मेरा नाम कन्हैया है तो मुझे बताना पड़ेगा कि मेरे पूर्वज मध्य एशिया से आये हैं. कन्हैया ने माना कि उनके लिए ये एक भावुक मुद्दा है क्योंकि इसके ज़रिए एक आइडेंटिटी को टारगेट किया जा रहा है.


कन्हैया कुमार ने असम में जारी हुई NRC लिस्ट के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा कि असम में 19 लाख लोगों को NRC लिस्ट से बाहर रखा गया जिनमें 15 लाख गैर-मुसलमान हैं. ये देखकर बीजेपी को एहसास हुआ कि अगर सभी को बाहर देश से बाहर कर देंगे तो उनका वोट बैंक खत्म हो जाएगा इसलिए उन्होंने पूरे देश में NRC लागू करने से पहले नागरिकता संशोधन कानून लाया.


कन्हैया ने सवाल किया कि बीजेपी प्रवक्ता कहते हैं कि धर्म के आधार पर देश बना था, तो क्या 1947 का बदला ...पाकिस्तान का बदला, हिंदुस्तान के मुसलमानों से लेना चाहते हैं? कन्हैया ने कहा कि बहुमत की सरकार ने दुनिया में गुलामों के लिए कानून बनाए, नरसंहार करवाये और काले-गोरों का भेद किया. ये सरकार देश की एक बड़ी आबादी को सेकेंड क्लास सिटीजन बनाना चाहती है, इसलिए यह लड़ाई संविधान को बचाने की लड़ाई है. ज्यादातर माइग्रेंट लेबर बिहारी हैं, बंगाल में दलित आबादी है जिनको डॉक्यूमेंट्स को लेकर प्रॉब्लम होने वाली है.


विपक्ष पर भी साधा निशाना


डॉक्यूमेंशन में खामियों का मुद्दा उठाते हुए कन्हैया ने कहा कि उनके भाई के सर्टिफिकेट में पिताजी के नाम की स्पेलिंग JAY है और मेरे सर्टिफिकेट में JAI है. हर तीसरे इंसान के वोटर आईडी कार्ड में नाम उसका और फ़ोटो उसकी मम्मी का होगी लेकिन जब ठीक कराने की कोशिश करेंगे तो तंग आकर खुद ही ठीक कराना बन्द कर देंगे. कन्हैया ने आरोप लगाया कि इस आंदोलन को हिन्दू बनाम मुसलमान बनाने को कोशिश की गयी. पैसे से भाड़े की भीड़ बुलाई ताकि मोटर साइकिलों में आग लगाई जा सके और आंदोलन को बदनाम किया जा सके. लेकिन जामिया ने दिखाया कि हमारी लड़कियां भी पारंपरिक पोशाक पहनकर इंकलाब का नारा बुलंद कर सकती हैं. अलीगढ़ के साथियों से अपील है कि वहां बहुत लड़कियां पढ़ती हैं एक बार उनके हाथ मे भी झंडा दीजिए. कन्हैया ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि जब देश में सशक्त विपक्ष की कमी हो तब विश्वविद्यालयों ने बताया कि हम विपक्ष की भूमिका निभाएंगे.


कन्हैया ने कहा कि जब चुनाव न हो और प्रधानमंत्री के पास फेंकने के लिए जुमला नही हो तो वो यूनिवर्सिटीज की तरफ आ जाते हैं. 5 साल में यूनिवर्सिटी ने देश की जनता को भरोसा दिलाया है को शैतान कितना भी ताकतवर हो, हारता जरूर है. आज जब आम लोग सड़क पर निकल रहे हैं तो डरा हुआ हुक्मरान कहता है कि डरिये मत. वो समझ लें कि उनका टॉक टाइम सिर्फ 5 साल के लिए रिचार्ज हुआ है, ये लाइफ टाइम के लिए रिचार्ज नहीं हुआ है.


जामिया और अलीगढ़ बन्द हो गया है और JNU को बंद करने की तैयारी है. लेकिन घबराइए नहीं, बाहर आपका शानदार स्वागत करने के लिए तैयार हैं. हम जमीन तैयार कर रहे हैं. लाखों लोग जमा होते हैं एक पत्थर नहीं चलता, कोई बस नही जलती है क्योंकि आम लोग दंगाई नही होते हैं. हमारे बीच आंदोलन का हिमायती बताने वाले कुछ लोग आंदोलन का नुकसान करते हैं. इस आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. जो हमारे बीच घुसकर इस लोकतांत्रिक लड़ाई को अलग रूप देना चाहे तो हम सचेत रहें. इस देश की खूबी है कि कोई इंशाल्लाह कहता है कोई हे राम तो कोई सीता राम कहता है तो आजकल कोई जय श्री राम कह रहा है.


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कन्हैया ने आगे कहा, ''मैं एक सेक्युलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक चाहता हूं. आपको चुनना होगा कि गांधी जैसा हिन्दू होना चाहते हैं या गोडसे जैसा हिन्दू. NRC और CAA देश को तोड़ने वाले खतरनाक कानून है. इसका हर सम्भव विरोध जरूरी है. हर बस्ती में घूमकर लोगों बताना होगा कि डॉक्यूमेंट बनवाने के लिए परेशान न हो. सरकार आज दादा का नाम पूछ रही है, कल नानी की नानी का नाम पूछेंगे. अगर सरकार कागज के आधार पर हमको नागरिक मानना चाहती है या नहीं मानना चाहती है तो हम सरकार को खुलेआम चुनौती देते हैं कि अगर वो हमें नागरिक नही मानती तो हम भी उस सरकार को नहीं मानते.''


कन्हैया ने पूछा कि अगर तुम्हारे पास डिग्री नहीं है तो क्या पूरे देश के लोगों की डिग्री जला दोगे? सरकार कह रही है कि घुसपैठियों को पकड़ना है. काला धन वालों को पकड़ने के लिए नोटबन्दी कर पूरे देश के लोगों को लाइन में खड़ा कर दिया. आज प्रधानमंत्री 15 लाख की चर्चा करना बंद कर दिए हैं, अब वो मंच पर जाकर कब्रिस्तान-शमशान की बात करते हैं. इसलिए आज जानबूझकर ये बहस खड़ी की जा रही है ताकि देश को सांप्रदायिकता की आग में जलाकर उसके धुंए के पीछे देश की आर्थिक स्थिति को छिपाया जा सके. इसलिए जब सरकार 'जोकर' हो जाये तो आप 'गंभीर' हो जाते हैं.